शर्म नहीं आती मुलायम सिंह
-दर्शक- समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा और देश के प्रधानमंत्री बनने के लिए बेचैन मुलायम सिंह ने जॉर्ज फर्नांडीस के बारे में एक बयान जारी किया है. (द एशियन एज, 27 जून, पेज दो). श्री सिंह ने अपने बयान में श्री फर्नांडीस की इसलिए आलोचना की है कि वे विशेष विमान से न घूम कर इंडियन […]
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इसके आगे मुलायम सिंह का सुझाव है कि न हो तो जॉर्ज बैलगाड़ी पर घूमें. हालांकि बैलों को भी खाना खिलाना होगा? मुलायम सिंह इतना कह ही नहीं ठहरे, उन्होंने यह भी कहा कि श्री फर्नांडीस सेना के बारे में क्या जानते हैं? मेरा भाई सेना से सेवामुक्त हुआ, मेरे तीन भतीजे सेना में है. मेरे गांव में 20 लोग ऐसे हैं, जो या तो सेना में है या रिटायर हो गये हैं. पर फर्नांडीस सेना के बारे में क्या जानते हैं? वह मेरे पुराने साथी रहे हैं. एक समय हमारे नेता भी थे. पर मुझे उनसे इस तरह के बयानों की उम्मीद नहीं थी. कहा तो और भी बहुत कुछ है मुलायम सिंह ने, रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के बारे में. पर फिलहाल इतना ही.
मुलायम सिंह रक्षा मंत्री रहे हैं. उनके बाद जॉर्ज फर्नांडीस बने हैं. जॉर्ज फर्नांडीस जब भी मंत्री बने, सुरक्षा में नहीं रहे. उन्होंने खुद अपने घर का गेट काफी वर्षों पहले (जब वह सांसद थे) हटवा दिया कि आने वालों को कोई रोक न पाये. अपने घर में भी विभिन्न आंदोलनकारी समूहों को रहने के लिए जगह दे दी है. उनका घर हमेशा खुला रहता है. जब वह रक्षा मंत्री बने, तो सुरक्षाकर्मियों की बड़ी जमात उनके घर पहुंची. उन्होंने लौटा दिया. अखबारों में छपी खबरों के अनुसार रक्षा मंत्रालय की एक एंबेसडर हैं. अन्य मंत्रियों की तरह वह कुछ समय कार्यालय में, बाकी राजनीतिक गोटी बैठाने में नहीं लगाते. रक्षा मंत्रालय व रक्षा विशेषज्ञों को आश्चर्य हुआ कि कोई मंत्री रक्षा से जुड़े हर महत्वपूर्ण कार्यक्रम में देर तक मौजूद रह सकता है.
जॉर्ज ने अपने मंत्रालय में शिकायत के लिए डिब्बा लगा रखा है. वह खुद उसे खोलते हैं. यह भी खबर आयी कि वह अपने घर के पास मंत्रियों या प्रधानमंत्री के यहां बैठक में पैदल आते-जाते हैं. बिना इस्त्री कुरता-पायजामा पहने और बगैर रोबदाब इस्तेमाल किये, उनके कामकाज का तौर-तरीका रक्षा मंत्रालय जैसे स्टेटस कांशस जगह में लोगों को अजीब लगा. मंत्री बनते ही वह लगभग हर संवेदनशील मोरचे पर खुद घूम आये. यात्रा में ट्रेन या इंडियन एयरलाइंस का विमान इस्तेमाल किया, जो अत्यंत सुदूर और आवागमन से दूर के इलाके हैं, वहां सेना के हेलिकॉप्टर से गये. रक्षा मंत्रालय की वित्तीय स्थिति देख कर उन्होंने यह फैसला किया. इसी बीच लोकसभा में एक सांसद ने सवाल पूछा था कि सरकार बताये कि रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह ने उत्तरप्रदेश के दौरों (अधिसंख्य निजी दौरे) पर कितना खर्च किया? सरकारी जवाब आया कि रक्षा मंत्रालय ने महज 23 करोड़ रुपये मुलायम सिंह के उत्तरप्रदेश दौरे पर खर्च किये हैं. मुलायम सिंह ने इसका प्रतिवाद नहीं किया. उल्टे फर्नांडीस के संबंध में यह बयान जारी किया.
कहीं न कहीं उनके मन में अपराध बोध बैठ गया है कि गरीब देश का 23 करोड़ उन्होंने निजी स्वार्थ में खर्च किया. जॉर्ज फर्नांडीस ने अपनी कार्यशैली से बता दिया है कि 23 करोड़ बच सकता था. इसका इस्तेमाल सेना के आधुनिकीकरण से लेकर सेना के कल्याण के कामों में हो सकता था. इसलिए वह जॉर्ज के उन पक्षों पर हमला बोल रहे हैं, जिन पर भारत जैसे गरीब देश में ‘सवाल उठने ही नहीं चाहिए, बल्कि जागरूक देश में तो ऐसे खर्चों के पैसे मंत्रियों से वसूले जाने चाहिए.
मुलायम सिंह, जॉर्ज की नीतियों-बयानों पर हमला करते, तो बात समझ में आती. आजाद भारत के मंत्री सामान्य लोगों की तरह रहें, यह गांधी का सपना था. उन्होंने इसके लिए कसौटियां बनवायी थी. गांधी को इन नेताओं के संदर्भ में याद करना उनका अपमान है. इसलिए उन्हें छोड़ दें. डॉक्टर राममनोहर लोहिया, जिनके उत्तराधिकारी के रूप में बिना बोले अपने को मुलायम सिंह पेश करते हैं, वह ‘लोहिया’ ही भजते हैं, उसी डॉ लोहिया ने मंत्रियों-विधायकों को नये राजाओं-सामंतों-श्रीमंतों जैसा न रह कर साधारण कार्यकर्ता जैसा रहने के लिए आजीवन संघर्ष किया. ‘तीन आना बनाम दस हजार’ की बहस शुरू कर नेहरू के आभिजात्य दर्प पर ही चोट नहीं की, बल्कि इस कांग्रेसी अपसंस्कृति के समानांतर एक वैकल्पिक राजनीति की बात की. सादगी की राजनीति. न्यूनतम खर्चे पर जीने की राजनीति. 1967 में गैर कांग्रेसी सरकारों के बनने पर अपने मंत्रियों के कांग्रेसी रहन-सहन, कांग्रेसी संस्कृति और कांग्रेसी राह पर चलते देख खुद अपने लोगों के इस सैद्धांतिक स्खलन पर वह बिगड़े. आलोचना की. ऐसे लोगों को घरों से निकाला. मिलने से मना किया. मुलायम सिंह का दावा है कि वह लोहिया की इसी ‘ वैकल्पिक राजनीति’ की देन है.
लोहिया जी के शिष्य मुलायम सिंह खुद किस तरह सुरक्षा घेरे में रहते हैं. उस पर इस गरीब देश का कितना खर्च हो रहा है? उन पर सुरक्षा मद में खर्च हो रहे देश के पैसों से कितने दूसरे कल्याणकारी काम हो सकते थे? यह महसूस न करके वह सुरक्षा न रखने, सामान्य विमान-ट्रेन से यात्रा करने, घर को हमेशा लोगों के लिए खुला रखने की शैली पर हमला कर रहे हैं. सचमुच लोहिया के शिष्य होते मुलायम सिंह, तो कहते कि गरीब देश के अन्य मंत्री जॉर्ज की इस रहन-सहन शैली को अपनायें. वह कहते, मैंने ऐसा कर गलती की.
वह देश में दबाव बनाते कि सारे मंत्री-मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री ऐसे चलें- रहें, ताकि अरबों रुपये बच सकें. यह खर्च गरीबों को रोजगार, भूखों को अन्न, प्यासे गांवों को पानी देने या गरीब देश को मजबूत करने में हो सके. गैर कांग्रेस का नारा क्यों उठा? उसके पीछे एक वैकल्पिक राजनीति की भूख थी. गरीब देश के रहनुमाओं को गरीबों के अनुरूप जीवन शैली अपनाने की बात थी. पर मुलायम सिंह जी रक्षा मंत्री रहते हुए फाइव स्टार के सबसे महंगे सूटों में ठहरने लगे. मुंबई के एक पांच सितारा होटल में वह 30 हजार रोजानावाले कमरे में रहे. रक्षा मंत्री की हैसियत से.
अगर उनके बाद का रक्षा मंत्री पांच सितारा होटलों के सबसे महंगे सूटों में नहीं ठहरता, तो इसके लिए उसकी आलोचना होगी? नेताओं की इसी कांग्रेसी संस्कृति-जीवनशैली-भोगवाद के कारण आज देश पर साढ़े सात लाख करोड़ से अधिक का विदेशी ऋण है. इस मद में प्रतिवर्ष 68 हजार करोड़ सूद देना पड़ रहा है. अनुत्पादक नेताओं का यह फाइव स्टार रहन-सहन देश को कहां पहुंचा चुका है और आगे कहां ले जायेगा, क्या यह मुलायम सिंह को नहीं मालूम? आखिर क्यों ऐसा पतन होता है कि वैकल्पिक राजनीति की बात करनेवाले खुद राजनीतिक पतन के नया कीर्तिमान बनाने लगते हैं? इस प्रक्रिया में वह शर्म, हया और लोक लज्जा भी भूल जाते हैं. यह रहस्य ही है कि गरीबी में पले-बढ़े लोगों को पद, पैसा, ऐश्वर्य मिलते ही किस तरह वर्ग चरित्र बदल जाता है? मुलायम सिंह इसके नमूने हैं.
बहस यह होती कि रक्षा मंत्री के रूप में कौन सक्षम रहा या है? किसके समय में कितने काम हुए या किसने कितने विवादास्पद गलत काम किये, तो बात समझ में आती. पर हमला हो रहा है इस भोगवादी-दिखावे के दौर में सामान्य जीवन शैली पर. सामान्य जनता की तरह रहने की कोशिश करने की प्रवृत्ति पर. सरकारी खर्च पर शहंशाहों की तरह न रहने के कारण. दरअसल, यह एक संकेत है कि देश के शासकों का भोगवादी चरित्र कहां पहुंच गया है?
हालांकि सार्वजनिक रूप से यह बहस नहीं होनी चाहिए, पर मुलायम सिंह ने शुरू की है. इसलिए उन्हें देश को बताना चाहिए कि उनके रहते सेना के आधुनिकीकरण वगैरह में क्यों शिथिलता बरती गयी? मोटे तौर पर इन सवालों के जवाब उन्हें देश को देना चाहिए.
क्यों ऐसी भयावह स्थिति रहीं? इसकी जिम्मेवारी किस पर है? रक्षा मंत्री के रूप में मुलायम सिंह ने इन सवालों पर क्या किया? क्या मंत्री पद महज सुख भोगने का साधन है? नये राजाओं की तरह रहने का लाइसेंस है? क्या करदाताओं के पैसों पर निजी यात्राओं के लिए सरकारी विमानों के उपयोग का अवसर है?