नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको की यात्रा पर रवानाहोने के बाद पहले पड़ाव अफगानिस्तान पहुंचे.अफगानिस्तान में पीएम नरेंद्र मोदी और अफगान के राष्ट्रपति असरफ गनी ने संयुक्त रूप से अफगान भारत मैत्री बांध ‘सलमा डैम’ का उद्घाटन किया.मौके पर मोदी ने कहा कि यह बांध अफगानिस्तान का नया भविष्य लिखेगा. यह बांध भारत के सहयोग से बना है. 1500 भारतीय और अफगानी इंजीनियरों ने इस बांध का निर्माण किया है. इससे 42 मेगावाट बिजली अफगानिस्तान को मिलेगी.
मोदी ने कहा, ‘यह परियोजना न सिर्फ हेरात के 560 गांवों को पानी देगा बल्कि प्रांत के 2.5 लाख घरों को बिजली भी देगा. डैम का नाम अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम रखने के लिए मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी का आभार जताता हूं.’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह प्रगति की दिशा में अफगानिस्तान का एक और बड़ा कदम है. यह परियोजना सिर्फ घरों को रोशनी ही नहीं देगी, बल्कि क्षेत्र का पुनरुद्धार भी करेगी. उम्मीद लौटाएगी, अफगानिस्तान के भविष्य को फिर से परिभाषित करेगी. पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में ईरान से भारत के हुए चाबहार समझौते से भी अफगानिस्तान को फायदा होगा. नरेंद्र मोदी ने अफगानी सेना की भी तारीफ की.
मोदी ने कहा कि इसी सप्ताह कुछ दिनों में रमजान का महीना शुरू हो रहा है. यह माह इबादत का है. भारत और अफगानिस्तान के बीच भाईचारे के संबंध को यह डैम इस रमजान के महीने और पवित्र एवं प्रगाढ़ बनायेगा.पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा :विश्वभर के मुसलमान भाईयों को आने वाले रमजान पर्व की दिल से शुभकामनाएं देता हूं.
मोदी का अतिव्यस्त कार्यक्रम
इस दौरान मोदी का काफी व्यस्त कार्यक्रम है. वे महज 6 दिनों में ही इन पांच देशों में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे. उनकी इस यात्रा का मुख्य मकसद इन देशों के साथ भारत के व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को विस्तार देना तथा संबंधों को नयी गति प्रदान करनी है. अपने इस विदेश प्रवास के दौरान मोदी 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए स्विट्जरलैंड का सहयोग मांग सकते हैं क्योंकि ये दोनों इस प्रतिष्ठित समूह के मुख्य सदस्य हैं. वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मोदी की बातचीत के दौरान भी यह मुद्दा उठ सकता है.
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए जयशंकर कल कहा था कि, ‘हम दोहरे कराधान से बचाव की संधि डीटीएए के तहत स्विस सरकार के साथ संपर्क में हैं और हमने इसको लेकर कुछ चर्चा की है तथा निकट भविष्य में हमारी कुछ योजना है. दोनों देशों के बीच कर डाटा पर सूचना आदान प्रदान को लेकर हमें स्विस प्रशासन से सहयोग मिला है.’ उन्होंने कहाथा, ‘उम्मीद करते हैं कि स्विट्जरलैंड के साथ सूचना के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान को लेकर जल्द से जल्द संपर्क स्थापित होगा तथा इस बारे में स्विस कर अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.’
एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी के बारे में जयशंकर ने कहाथाकि भारत इस प्रतिष्ठित समूह का सदस्य बनने के लिए कई वर्षों से कोशिश करता आ रहा है और इसको लेकर काफी प्रगति हुई है. विदेश सचिव ने कहाथा, ‘मुझे लगता है कि हमने बहुत अधिक प्रगति की है और इस कारण हम कुछ दिन पहले एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन कर सके हैं. हम इस मुद्दे को लेकर एनएसजी के सदस्यों के साथ संपर्क में हूं और स्विट्जरलैंड इस समूह का महत्वपूर्ण सदस्य है तथा ऐसे में हम निश्चित तौर पर यह मुद्दा बातचीत में आएगा.’ भारत ने गत 12 मई को एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया.
अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करेंगे नरेंद्र मोदी
स्विट्जरलैंड से प्रधानमंत्री छह जून को वाशिंगटन जाएंगे जहां उनका काफी व्यस्त कार्यक्रम है. वह अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित भी करने वाले हैं. ऐसा करने वाले वह पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. वह छह जून को ‘अरलिंगटन नेशनल सिमिटरी’ में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद वह कई अमेरिकी थिंकटैंक के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे. वह प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में भी शिकरत करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी सात जून को अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के साथ द्विपक्षीय मुद्दों के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में बातचीत करेंगे. बातचीत के बाद मोदी के लिए ओबामा ने एक भोज का आयोजन भी किया है. आठ जून को मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे और बाद में उनके लिए स्पीकर ने दोपहर के भोज का आयोजन किया है. मोदी के लिए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट की विदेश मामलों की समितियों एवं इंडिया कॉकस भी एक स्वागत कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. मोदी राष्ट्रपति के गेस्टहाउस ‘ब्लेयर हाउस’ में ठहरेंगे.
अमेरिका दौरा संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा
विदेश सचिव जयशंकर ने कहाथा, ‘अमेरिका का दौरा एक तरह से संबंधों को मजबूत करने के लिए है. वे (मोदी और ओबामा)संबंधों को और आगे ले जाने के लिए काम करेंगे.’ प्रधानमंत्री मोदी के दौरे में आखिरी समय पर स्विट्जरलैंड और मैक्सिको की यात्रा के कार्यक्रम को जोडे जाने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि इसी साल परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन से इतर स्विस राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई मुलाकात में इस यात्रा का विचार आया. उन्होंने कहा कि मैक्सिको की यात्रा के बारे में पिछले साल सितंबर से विचार किया जा रहा था. मोदी आठ जून मैक्सिको पहुंचेंगे जहां वह राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत बातचीत करेंगे जिसमें एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी का विषय भी शामिल होगा.
स्विट्जरलैंड में उठा सकते हैं कालाधन का मुद्दा
स्विट्जरलैंड के नेतृत्व के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री वहां के बैंकों में भारतीय नागरिकों के जमा कालेधन के मुद्दे को भी उठा सकते हैं. अपनी विदेश यात्रा के पहले पडाव के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान जाएंगे जहां हेरात प्रांत में वह अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मित्रता सेतु का भी उद्घाटन करेंगे. पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था. दोनों नेता अफगानिस्तान में मौजूदा हालात सहित कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे. अफगानिस्तान से मोदी कल ही कतर जाएंगे और फिर वहां से रविवार को दो दिन के लिए स्विट्जरलैंड जाएंगे. यह पूछे जाने कि प्रधानमंत्री मोदी स्विस नेताओं के साथ बातचीत के दौरान कालेधन का मुद्दा उठाएंगे तो विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देश संपर्क में हैं.
एनएसजी सदस्यता के भारत के दावे पर जोर दे सकते हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्विट्जरलैंड, मैक्सिको और अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के दावे पर मजबूती के साथ जोर दे सकते हैं क्योंकि ये तीनों देश इस प्रतिष्ठित समूह का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. भारत लंबे समय से इस 48 सदस्यीय समूह की सदस्यता के लिए कोशिश करता आ रहा है. बीते 12 मई को इसको लेकर भारत ने औपचारिक रूप से आवेदन दायर किया था. विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने बहुत अधिक प्रगति की है और इस कारण हम कुछ दिन पहले एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन कर सके हैं. हम इस मुद्दे को लेकर एनएसजी के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं और स्विट्जरलैंड इस समूह का महत्वपूर्ण सदस्य है. ऐसे में यह मुद्दा निश्चित तौर पर बातचीत में आएगा.’
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने को एनएसजी की उसकी सदस्यता के प्रयास से नहीं जोडना चाहिए. विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने परमाणु क्षेत्र से संबंधित अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है. उन्होंने कहा, ‘हमारा बहुत शानदार रिकॉर्ड रहा है जिससे विश्व सहज है. एनएसजी ने पहले ही हमारे लिए एक अपवाद किया है. एक तरह से 2008 में हमारी विश्वसनीयता की परख हो चुकी है जब इसको लेकर फैसला किया गया था. 2008 में हमने अपने परमाणु कार्यक्रम को असैन्य और रणनीतिक पक्ष के तौर पर अलग अलग करने का वादा किया था. हमने अतिरिक्त प्रोटोकॉल को स्वीकारने और लागू करने पर सहमति जताई थी. हमने इसका सच्चाई से पालन किया है.’ एनपीटी और एनएसजी के बारे में जयशंकर ने कहा कि इनके उद्देश्य अलग अलग हैं और इसको लेकर कोई भ्रम नहीं है.