आसाराम मामला : गवाहों को धमकियों पर कार्रवाई नहीं करने पर राजस्थान सरकार की खिंचाई
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज आसाराम के सहयोगियों द्वारा गवाहों को धमकियों पर कोई कार्रवाई नहीं करने पर राजस्थान सरकार की खिंचाई की. आसाराम पर उनके जोधपुर आश्रम में 16 साल की लड़की का कथित यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि अगर आसाराम या उनकी […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज आसाराम के सहयोगियों द्वारा गवाहों को धमकियों पर कोई कार्रवाई नहीं करने पर राजस्थान सरकार की खिंचाई की. आसाराम पर उनके जोधपुर आश्रम में 16 साल की लड़की का कथित यौन उत्पीड़न करने का आरोप है.
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि अगर आसाराम या उनकी तरफ से किसी ने गवाहों को धमकाने का नया प्रयास किया है तो उनके चार सहयोगियों शिवा, शिल्पी, शरद और प्रकाश की जमानत निरस्त करने की मांग को लेकर सबूतों के साथ उच्च न्यायालय से गुहार लगाई जाए.
न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की अवकाश पीठ ने राजस्थान सरकार के वकील के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई कि खुफिया खबरें हैं कि गवाहों तथा एक पुलिस अधिकारी को धमकाया गया और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई.
इसमें कहा गया, ‘‘हमें बताइए कि क्या कार्रवाई की गई. क्या आप (राजस्थान सरकार) सोचते हैं कि सबकुछ ठीक है? थाना प्रभारी को अदालत में धमकाया जा रहा है. आप अदालत को हल्के में नहीं ले सकते. आपको रुख तय करना होगा. अगर आपके पास धमकाने के पूरे सबूत हैं तो आपने जमानत निरस्त करने की मांग के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर क्यों नहीं की? लोग आपके कारण परेशान हैं.”
पीठ ने कहा, ‘‘कानून व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है. आप (राज्य सरकार) केवल यह नहीं कह सकते कि प्राथमिकी दर्ज हुई है और जांच चल रही है. अगर आप मजबूर, बिना सुराग या शक्तिविहीन हैं तो हमें बताइए और हम किसी अन्य एजेंसी को जांच सौंपेगे.” पीठ ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है, जब 16 साल की लड़की के पिता करमवीर सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने कहा कि आसाराम के सहयोगी इस मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी सहित गवाहों को धमका रहे हैं.