जासूसीकांड: मोदी के खिलाफ अपमानजनक आरोप हटाये जायें: न्यायालय
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि गुजरात के जासूसीकांड विवाद की सीबीआई जांच के लिए याचिका पर सिर्फ तभी विचार किया जायेगा जब इस बात की पुष्टि हो जायेगी कि निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक आरोपों को हटाने के आदेश पर अमल कर लिया है. […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि गुजरात के जासूसीकांड विवाद की सीबीआई जांच के लिए याचिका पर सिर्फ तभी विचार किया जायेगा जब इस बात की पुष्टि हो जायेगी कि निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक आरोपों को हटाने के आदेश पर अमल कर लिया है.
शर्मा ने जासूसी कांड की जांच कराने का अनुरोध किया है और गुजरात सरकार ने इसका जोरदार विरोध ही नहीं किया बल्कि उन पर फर्जी पासपोर्ट की मदद से देश से बाहर भागने का प्रयास करने सहित कई मामलों में लिप्त होने का आरोप लगाया है.
शीर्ष अदालत ने शर्मा को अपनी पत्नी और बेटे से मिलने के लिये अमेरिका जाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. ये दोनों अमेरिकी नागरिक हैं.न्यायालय ने कहा कि शर्मा की जासूसी कांड की सीबीआई जांच की अर्जी पर तभी विचार किया जायेगा जब इसकी पुष्टि हो जायेगी कि उसके 12 मई, 2011 के आदेश पर अमल किया जा चुका है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के अधिकारी शर्मा चाहते हैं कि उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलोें की सीबीआई से जांच कराने और मुकदमा गुजरात से बाहर स्थानांतरित किया जाये.
शीर्ष अदालत ने शर्मा को निर्देश दिया कि मोदी के खिलाफ अपमानजनक आरोपों से संबंधित पैराग्राफ निकाल कर संशोधित याचिका दायर की जाये. न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि संशोधित याचिका सुनवाई के दौरान उपलब्ध नहीं है जबकि मूल याचिका के साथ संशोधित याचिका का मिलान करने की आवश्यकता है.
न्यायाधीशों ने कहा कि हम देखेंगे कि क्या आपने हमारे आदेश पर अमल किया है या नहीं.हम संशोधित याचिका का अवलोकन करना चाहते हैं क्योंकि गुजरात सरकार और मोदी के निकट सहयोगी अमित शाह का आरोप है कि शर्मा ने सीबीआई जांच के लिए दायर अर्जी में अपमानजनक आरोप शामिल हैं.