केदारनाथ यात्रा : अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते प्रशासन के दावे

केदारनाथ (रुद्रप्रयाग) : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को लेकर महीनों पहले से प्रशासन की तैयारियों के तमाम दावों के बावजूद यात्रा के दौरान स्थिति कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश सरकार यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण तथा पंजीकरण की जांच समेत यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिये विभिन्न उपाय करने की बात कहती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2016 12:07 PM

केदारनाथ (रुद्रप्रयाग) : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को लेकर महीनों पहले से प्रशासन की तैयारियों के तमाम दावों के बावजूद यात्रा के दौरान स्थिति कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश सरकार यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण तथा पंजीकरण की जांच समेत यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिये विभिन्न उपाय करने की बात कहती है, लेकिन चार धाम विशेषकर केदारनाथ की यात्रा करते समय स्थिति कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा पर जाने वालों के लिये जगह-जगह बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था कर रखी है लेकिन केदारनाथ यात्रा के लिये जब सोनप्रयाग से आप गौरीकुंड के लिये जाते हैं तो पंजीकरण जांच की कोई व्यवस्था नहीं है और इस तरह इस बात का कोई रिकार्ड नहीं होता कि कितने यात्री उपर जा रहे हैं.

इस बारे में पूछे जाने पर श्री बद्रीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्याधिकारी (जन संपर्क) अनुसइया सिंह नेगी ने माना कि यात्रियों की संख्या को नियंत्रित नहीं किया जाता. यह पूछे जाने पर कि फिर यात्रियों की संख्या का निर्धारण कैसे होता है, उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर में दर्शन के लिये लाइन में लगे यात्रियों की गिनती तथा हेलीकाप्टर सेवा लेने वालों के आधार पर यात्रियों की संख्या का पता लगाया जाता है. वहीं बद्रीनाथ में गाडियों से लिये जाने वाले पथकर के आधार पर यात्रियों की संख्या निर्धारित होती है.

हालांकि, गढवाल संभागीय आयुक्त कार्यालय ने कहा कि हमने रुद्रप्रयाग प्रशासन को केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की दैनिक संख्या करीब 4,000 तक नियंत्रित रखने का निर्देश दे रखा है. केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में आता है. गढवाल संभागीय आयुक्त सी एस नपलचयाल यात्रा प्रशासन संगठन के अध्यक्ष भी हैं. यात्रा के दौरान यात्रियों की संख्या को निर्धारित करने के लिये प्रशासन की तरफ से कहीं भी कोई इंतजाम नहीं दिखायी पडने के बारे में पूछे जाने पर कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम फिर से रुद्रप्रयाग प्रशासन के लिये निर्देश जारी करेंगे.’

गढवाल मंडल विकास निगम के अनुसार लिनचोली में करीब 550 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है. लेकिन यात्रियों की संख्या नियंत्रित नहीं होने से कई बार अधिक संख्या में यात्री लिनचोली पहुंच जाते हैं जिससे यात्रियों को ठहरने में कठिनाई होती है. यही नहीं यहां कहीं कहीं छत भी टपकती है. इतने महत्वपूर्ण स्थान पर अगर बिजली गुल हो जाये तो रोशनी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. इस बारे में अनुसइया सिंह नेगी ने कहा, ‘वर्ष 2013 में प्राकृतिक आपदा के बाद हमारे सारे गेस्ट हाउस नष्ट हो गये. अब रास्ते में शिविरों में रहने की व्यवस्था की जिम्मेदारी गढवाल मंडल विकास निगम के पास है. हम संयुक्त बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे और उनका समाधान करेंगे.’

चढाई के दौरान रामबाडा से लिनचोली की ओर बढने और पुन: लिनचोली से केदारनाथ की ओर जाते समय करीब 5 से 6 किलोमीटर की खडी चढाई है. एक तरफ पहाड, दूसरी तरफ खाई. बीच में संकरा रास्ता. घोडे-खच्चर की वजह से रास्ता और कठिन हो जाता है. लेकिन इन रास्तों पर न तो कोई रेलिंग की व्यवस्था है और न ही आपको पुलिस या प्रशासन का कोई व्यक्ति दिखेगा. इस बीच, तेज हवा और बारिश होने लगे जो कभी भी हो सकती है, तो हालात और कठिन हो जाते हैं.

केदारनाथ की यात्रा के लिये चढाई के शुरुआती स्थल गौरीकुंड से शिवमंदिर करीब 18 किलोमीटर दूर है. करीब सात किलोमीटर पर रामबाडा तथा पांच किलोमीटर पर लिनचोली है. अगर गौरीकुंड से सुबह 9-10 बजे यात्रा शुरू की जाये तो शाम तक लिनचोली पहुंचा जा सकता है.मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद अगर लौटने में शाम हो गयी और अंधेरा हो गया तो श्रद्धालुओं की कठिनाई और बढ जाती है क्योंकि रास्ते में कहीं भी रोशनी की व्यवस्था नहीं है और अगर बिजली का कोई इंतजाम है भी तो जलती नहीं है.

इस बारे में अनुसइया कहा, ‘हमारी कोशिश होती है कि यात्रा बेहतर और सुखद हो. लेकिन कुछ कमियां है जिसे दूर करने की जरुरत है. 2013 में प्राकृतिक आपदा के बाद पहली बार इतनी संख्या में चार धाम की यात्रा पर लोग आये हैं जिसका हमें भी अंदाजा नहीं था। अगले साल हम जो भी कमियां हैं उन्हें दूर कर लेंगे.’ समिति के आंकडों के अनुसार इस वर्ष एक जून तक 6,57,817 लोगों ने चार धाम की यात्रा की जिसमें से केदारनाथ की यात्रा करने वालों की संख्या करीब 1,90,138 है.

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