नयीदिल्ली : नेपाल के उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने आज कहा कि भारत के साथ नेपाल के संबंध ‘‘अतुलनीय” हैं और चीन के साथ उसके बढ़ते संबंध भारत की कीमत पर नहीं हैं. थापा ने यह बात नेपाल के दोनों पड़ोसियों का समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से की ताकि देश अपने इतिहास के ‘‘सबसे मुश्किल” समय से बाहर निकल सके.
यहां तीन दिवसीय यात्रा पर आये थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार को कोई खतरा नहीं. यद्यपि माओवादी नेता प्रचंड ने गठबंधन सरकार को अपनी पार्टी का समर्थन जारी रखने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. थापा नेपाल के विदेश मंत्री भी हैं. उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जटिल मधेसी मुद्दे के समधान को प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जो मधेसी समुदाय की मांगों के समाधान के लिए तीन महीने के भीतर तरीके सुझाएगी.
थापा ने मीडिया की उन खबरों को भी खारिज किया कि ओली ने भारत पर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि ओली की टिप्पणी की ‘‘गलत व्याख्या” कीगयी. उन्होंने कहा कि राजदूत दीप कुमार उपाध्याय को वापस बुलाया गया. क्योंकि सरकार को कोई और अधिक उपयुक्त मिल गया जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध को और मजबूती दे सकता है.
थापा नेेपाल के लोकतांत्रिक देश बनने, माओवादी संघर्ष, गत वर्ष के विनाशकारी भूकंप और मधेसी आंदोलन के चलते भारत से आपूर्ति की नाकेबंदी को गत दो वर्ष में नेपाल के सामने आया प्रमुख संकट बताया. उन्होंने कहा कि नेपाल अब आर्थिक प्रगति एवं विकास के मार्ग पर चलना चाहता है.
उन्होंने कहा, भारत के साथ नेपाल के संबंध ‘‘अतुलनीय” हैं. यदि हम चीन के साथ अपने संबंध विस्तारित करना चाहते हैं तो उसे भारत की कीमत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. 50 वर्ष पहले तक हिमालय को एक अवरोधक के तौर पर देखा जाता था, वह अब अवरोधक नहीं है. उन्होंने कहा, रेलवे नेपाल की सीमा तक आ रहा है, राजमार्ग तिब्बत के आसपास आ रहे हैं. आप नहीं सोचते कि नेपाल के लिए यह बुद्धिमानी होगी कि वह उस स्थिति का लाभ उठाये. यह बहुत सरल है. हम विकास चाहते हैं.
थापा ने कहा, स्वभाविक है कि हम दोनों पड़ोसियों से लाभ लेना चाहते हैं. यद्यपि एक दूसरे की कीमत पर नहीं. नेपाल की यह नीति नहीं कि वह एकदूसरे के खिलाफ पत्ते खेले.