”उड़ता पंजाब” के रिलीज होने का रास्ता साफ, सेंसर बोर्ड को कोर्ट की फटकार

मुंबई : सेंसर बोर्ड को ‘दादी मां’ की तरह काम करने के लिए फटकार लगाते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसे 48 घंटे के भीतर फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को सिर्फ एक कट के साथ 17 जून की निर्धारित तारीख पर रिलीज करने के लिए प्रमाण पत्र देने को कहा. सीबीएफसी ने फिल्म को रिलीज करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2016 3:30 PM

मुंबई : सेंसर बोर्ड को ‘दादी मां’ की तरह काम करने के लिए फटकार लगाते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसे 48 घंटे के भीतर फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को सिर्फ एक कट के साथ 17 जून की निर्धारित तारीख पर रिलीज करने के लिए प्रमाण पत्र देने को कहा. सीबीएफसी ने फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने के लिए 13 कट सुझाए थे.

अदालत ने कहा, ‘‘बोर्ड ने पेशाब करने के दृश्य को हटाने की जो बात कही थी और घोषणा में सुधार को छोड़कर सीबीएफसी की संशोधन समिति ने छह जून को फिल्म में कुल 13 बदलाव करने की जो बात कही थी उन्हें निरस्त किया जाता है.” इसके साथ ही अदालत ने ड्रग के विषय पर बनी फिल्म को रिलीज करने का रास्ता साफ कर दिया. फिल्म के निर्माताओं का सेंसर बोर्ड के साथ विवाद चल रहा था.

कठोर शब्दों वाले आदेश में न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति शालिनी फंसाल्कर जोशी की पीठ ने कहा, ‘‘दादी मां की तरह काम नहीं करें. आज के समय के अनुसार बदलें. सीबीएफसी को कला के मामले में अति संवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है.” रचनात्मकता पर अंकुश लगाने के खिलाफ जोरदार वकालत करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘सीबीएफसी रचनात्मक लोगों को अचानक से रोक नहीं सकती क्योंकि यह उन्हें हतोत्साहित कर सकता है. यह रचनात्मकता को मार डालेगा. इन दिनों फिल्मकार कठोर और सीधा हैं.

सिर्फ इस वजह से किसी को उनसे सख्ती से बर्ताव करने की आवश्यकता नहीं है.” उसने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की फिल्म को सेंसर करने की शक्तियों के बारे में भी सवाल उठाए क्योंकि सेंसर शब्द सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में नहीं है और अगर कट किए जा रहे हैं तो वे संविधान और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरुप होने चाहिए.

न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, ‘‘आम बोलचाल में सेंसर का मतलब फिल्म का प्रमाणन करने से है. इसलिए अगर कानून के जरिए बोर्ड को बदलाव, कट या हटाने की शक्ति है तो सीबीएफसी की यह शक्ति संविधान और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरुप होनी चाहिए.” अदालत फिल्मकार अनुराग कश्यप की फैंटम फिल्म्स की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीबीएफसी के आदेश को चुनौती दी गई थी.

सीबीएफसी के फिल्म में कई कट करने के निर्देश ने राजनैतिक तूफान खडा कर दिया था. कांग्रेस और आप ने पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार पर इसे सेंसर कराने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. इस आरोप का पंजाब में सत्तारुढ़ गठबंधन ने खंड़न किया. पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.

‘उड़ता पंजाब’ के निर्माताओं ने कट के सीबीएफसी के आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने फैसले की सराहना करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक फैसला’ और समूचे फिल्म उद्योग की जीत बताया.

उच्च न्यायालय के बाहर फिल्म के निर्देशक अभिषेक चौबे ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वकीलों के कठिन परिश्रम ने नतीजा दिया है. मैं फैसले से काफी खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि फिल्मों को संदर्भ में देखा जाएगा और सिनेमा पर आवरण नहीं होगा.” सीबीएफसी ने शुरुआत में 89 कट का आदेश दिया था. बाद में उसकी समीक्षा समिति ने इसे कम करके 13 कर दिया था. अदालत ने सीबीएफसी के वकील अद्वैत सेठना की दलील को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय अपने आदेश पर रोक लगा दे ताकि वह इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें.

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