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लाभ का पद विवाद : अरविंद केजरीवाल के 21 विधायकों पर लटकी चुनाव आयोग के नोटिस की तलवार

नयीदिल्ली : आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लाभ के पद पर आसीन होने के मामले में बचाने सेजुड़े दिल्ली सरकार के विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी नहीं देने को लेकर आजबड़ा विवाद उत्पन्न हो गया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया जबकि भाजपा […]

नयीदिल्ली : आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लाभ के पद पर आसीन होने के मामले में बचाने सेजुड़े दिल्ली सरकार के विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी नहीं देने को लेकर आजबड़ा विवाद उत्पन्न हो गया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया जबकि भाजपा और कांग्रेस ने आप विधायकों को तुरंत अयोग्य ठहराने की मांग की. उधर, चुनाव आयोग भी इस मुद्दे पर सक्रिय है. अगले हफ्ते संबंधित विधायकों को आयोग नोटिस जारी कर सकता है और उनका पक्ष जानने के लिए सुनवाई के लिए आने को कह सकता है.

संसदीय सचिव के पद पर आसीन विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की स्थिति में नए चुनाव होने की संभावनों के बीच केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निर्णय केंद्र की अनुशंसा पर आधारित है और आश्चर्य जताया कि गुजरात, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में इसी तरह के पदों पर आसीन विधायकों के बारे में कोई बात क्यों नहीं कर रहा है. राष्ट्रपति के निर्णय पर सवाल खड़ा करने के लिए केजरीवाल की आलोचना करते हुए भाजपा और कांग्रेस ने कहा कि उनके विधायक कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें तुरंत अयोग्य घोषित करने की मांग की क्योंकि यह ‘‘स्पष्ट’ मामला है.

केजरीवाल ने कहा, ‘‘हरियाणा, पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल और पूरे देश में संसदीय सचिव हैं. पंजाब में उन्हें एक लाख रुपये, कार, बंगला मिलता है. लेकिन उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया गया. तो केवल दिल्ली में क्यों? क्योंकि मोदी आम आदमी पार्टी से डरे हुए हैं.’ केजरीवाल ने मोदी पर आरोप लगाया कि वह उनकी सरकार को ‘‘चुन-चुन कर निशाना’ बना रहे हैं क्योंकि भाजपा दिल्ली चुनावों में हार को नहीं ‘‘पचा’ पा रही है.

दिल्ली विधानसभा द्वारा पिछले वर्ष पारित विधेयक को मंजूरी देने से राष्ट्रपति ने इनकार कर दिया है जिसमें वर्तमान कानून में संशोधन कर 21 विधायकों को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान प्रस्तावित है. विधायकों को पिछले वर्ष संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था.

आयोग कर रहा है जांच

चुनाव आयोग विधायकों को अयोग्यता ठहराने वाले आवेदन की वर्तमान में जांच कर रहा है. आयोग ने संबंधित विधायकों से जवाब मांगा था. लाभ के पद के आधार पर अगर 21 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाता है तो फिर से चुनाव कराने होंगे. 70 सदस्यीय विधानसभा में आप के 67 विधायक हैं. शेष तीन भाजपा के विधायक हैं.

दूसरे राज्यों में इसी पद पर आसीन विधायकों के बारे में दिये केजरीवाल के बयान का जिक्र करते हुए डीपीसीसी के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि इस तरह की नियुक्तियों को अनुमति देने के लिए राज्यों ने कानून में संशोधन किए हैं. उन्होंने कहा कि भारत के किसी भी राज्य में 21 संसदीय सचिव नहीं हैं.

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र ने राष्ट्रपति पद की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए केजरीवाल की आलोचना की और मोदी पर अकारण ‘‘ज्यादा’ हमला करने के आरोप लगाए. उन्होंने केजरीवाल से कहा कि राष्ट्रपति के निर्णय को ‘‘राजनीतिक मुद्दा’ नहीं बनाएं.

भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने आप के संसदीय सचिव के पद पर आसीन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की और कानून को ताक पर रखकर उन्हें पद पर नियुक्त करने के लिए केजरीवाल को ‘‘नये जमाने का तुगलक’ बताया. उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग (जया बच्चन को राज्यसभा से अयोग्यता की अनुशंसा करते समय) ने कहा था कि कोई भी पद भले ही वह सलाहकार का ही क्यों न हो, लाभ का पद है.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट मामला है. चुनाव आयोग को यथाशीघ्र अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय करना चाहिए. 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति अवैध है और दिल्ली में ऐसी नियुक्ति की सीमा सिर्फ एक है.’ कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पुनिया ने पूरे मुद्दे पर केजरीवाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा. उन्होंने कहा कि लाभ के पद के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है और इसलिए आप विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार इस पूरे मामले में कानूनी राय ले सकती है.

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