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अगस्ता वेस्टलैंड मामला : इडी के नये आरोप पत्र में बिचौलिया मिशेल जेम्स का नाम शामिल

नयीदिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने 3600 करोड़ रुपए के वीवीआइपी हेलीकाॅप्टर सौदे में धनशोधन के सिलसिले में एक नया आरोपपत्र दाखिल किया है जो ब्रिटिश नागरिक और कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स तथा उनके कुछ भारतीय सहयोगियों की भूूमिका से संबंधित है. करीब 1300 पृष्ठों की अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र के लिए इडी के समतुल्य) […]

नयीदिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने 3600 करोड़ रुपए के वीवीआइपी हेलीकाॅप्टर सौदे में धनशोधन के सिलसिले में एक नया आरोपपत्र दाखिल किया है जो ब्रिटिश नागरिक और कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स तथा उनके कुछ भारतीय सहयोगियों की भूूमिका से संबंधित है. करीब 1300 पृष्ठों की अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र के लिए इडी के समतुल्य) विशेष धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) अदालत के समक्ष इसी हफ्ते पेश की गयी. इसमें कहा गया है कि एजेंसी की जांच में सामने आया है कि मिशेल को अगस्तावेस्टलैंड से तीन करोड यूरो (करीब 225 करोड़ रुपए) मिले. इसमें कहा गया है कि यह राशि कुछ नहीं बल्कि वास्तविक लेनदेन ‘की आड़ में’ कंपनी द्वारा दी गयी ‘‘रिश्वत’ है जो कंपनी के पक्ष में 12 हेलकॉप्टरों का सौदा कराने के लिए दी गयी.

एजेंसी सूत्रों ने बताया कि अदालत के जल्दी ही पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने की संभावना है.

इस मामले में इडी और सीबीआइ तीन बिचौलियों की जांच कर रही हैं जिनमें मिशेल के अलावा जी हश्के और कार्लो गेरोसा शामिल हैं. दोनों एजेंसियों ने अदालत द्वारा गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद मिशेल के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस या वैश्विक गिरफ्तारी वारंट अधिसूचित किए हैं.

हाल ही में भारतीय मीडिया ने मिशेल के कई साक्षात्कार लिए थे और दोनों एजेंसियां चाहती हैं कि वह जांच में शामिल हों.

मामले में इडी द्वारा दाखिल यह दूसरा आरोपपत्र है जिसमें करार में मिशेल की विस्तृत भूमिका, उनकी भारत की कई यात्राएं और उनके लेनदेन से संबंधित है. इस मामले में इडी ने पहला आरोपपत्र नवंबर 2014 में दाखिल किया था.

समझा जाता है कि मिशेल के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना आवश्यक था क्योंकि इडी ने ब्रिटेन से मिशेल के प्रत्यर्पण की मांग की है. इसलिए दोनों देशों की संधि को लागू करने के लिए किसी आरोपी के खिलाफ इस प्रकार की अदालती शिकायत जरूरी है.

एजेंसी ने आरोपपत्र में यह भी कहा है कि तीनों बिचौलिए सेवा भारतीय वायुसेना को प्रभावित करने तथा उसके रुख में बदलाव के लिए उसमें पैठ बनाने में ‘‘कामयाब” रहे. इसमें कहा गया है कि हेलीकाप्टरों के लिए सेवा सीमा संबंधी उंचाई 2005 में छह हजार मीटर से कम कर 4500 मीटर किए जाने के संबंध में वायुसेना के रुख में बदलाव में उनकी भूमिका थी. इस परिवर्तन के बाद अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाॅप्टरों की आपूर्ति के लिए योग्य बन सका.

इडी जांच में पता लगा है कि मिशेल ने अगस्तावेस्टलैंड से मिले कोष से राशि अपनी दुबई स्थित कंपनी ग्लोबल सर्विसेज, एफजेडई के जरिए एक मीडिया कंपनी को भेजी जिसकी स्थापना दिल्ली में दो भारतीयों के साथ की गयी थी. इसमें आरोप लगाया गया है कि हेलीकाप्टर सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है.

धनशोधन निवारण कानून के तहत हुयी जांच में सामने आया है कि अगस्तावेस्टलैंड सीइओ ब्रूनो स्पागनोनिलिनी विभिन्न कंसलटेंसी सौदे के रुप में मिशेल और दो अन्य बिचौलयों को ‘‘रिश्वत” दे रहे थे तथा इस व्यवस्था के तहत सिर्फ मिशेल को उनकी दुबई स्थित कंपनी के खातों और अन्य में तीन करोड़ यूरो मिले.

एजेंसी ने यह भी पता लगाया है कि दो भारतीयों के साथ मिशेल द्वारा दिल्लीमें स्थापित मीडिया कंपनी और कुछ नहीं बल्कि एक ‘‘मुखौटा कंपनी” थी जो ‘‘अपराध से हुई आय के धनशोधन के लिए थी.” आरोपपत्र में मिशेल के कम से कम दो अन्य सहयोगियों का नाम लिया गया है जो दिल्ली में और मीडिया कंपनी साथ थे. इडी ने दोनों सहयोगियों की संपत्ति पिछले साल जब्त की थी. इसके अलावा उनके ड्राइवर नारायण बहादुर सहित उनसे जुड़े विभिन्न लोगों के बयान भी संलग्न किए गए हैं.

इस सौदे में जांच हाल के दिनों में उस समय सुर्खियों में आयी जब इटली के मिलान में एक अदालत ने इतालवी कंपनी के पूर्व प्रमुख जी ओरसी और स्पागनोनिलिनी को भारत को हेलीकाप्टर बेचने में भ्रष्टाचार करने का दोषी ठहराया.

मिलान की अदालत के फैसले में कई स्थानों पर वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी के नाम का उल्लेख है.

इसके बाद दोनों एजेंसियों ने आरोपियों से नए सिरे से पूछताछ तथा और सबूत इकट्ठा करना शुरु किया. इडी ने इस सिलसिले में 2014 में एक पीएमएलए मामला दर्ज किया था और अपनी धनशोधन संबंधी प्राथमिकी में त्यागी सहित 21 लोगों का नाम लिया है.

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