बेंगलुरु : पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने आज कहा कि ब्याज दर ऊंची रखने समेत विभिन्न ‘गड़बड़ियों के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन शौरी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भारत में मौद्रिक नीति के सामने मुद्रास्फीति को दबाने का लक्ष्य रखने के खिलाफ हैं. शौरी ने कहा, ‘‘मैं मौद्रिक नीति में मुद्रास्फीति को निशाना बनाने के विरद्ध हूं. हम बहुत अधिक विविधता रखते हैं. भारत में बहुत अधिक चीजें होती हैं…यह समस्या की जड़ है. रघुराम राजन नहीं.’ कोरनेट ग्लोबल द्वारा यहां आयोजित कारपोरेट रीयल एस्टेट सम्मेलन को संबोधित करते हुए शौरी ने कहा, ‘‘हर कोई कह रहा है कि राजन ने ब्याज दरों को काफी ऊंचा रखा है. लेकिन संसद ने कानून पारित किया है और कहा है कि मौद्रिक नीति का मकसद महंगाई पर नियंत्रण है : मुद्रास्फीति को लक्ष्य करना है. यह समस्या की जड़ है.’
शौरी ने कहा कि राजन को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए संसद द्वारा दिए गए ‘हथियारोंं’ में से चार से पांच का इस्तेमाल कर रहे थे. ‘‘जहां तक ब्याज दर की बात है मैं सहमत हूं कि यह मुद्रास्फीति से लड़ने का एकमात्र हथियार नहीं है. पर यदि आप किसी व्यक्ति से कहते हैं कि आपको मुद्रास्फीति से लड़ना है, और ये चार से पांच ‘हथियार’ हैं. मसलन नकद जमा का मुद्दा, ब्याज दर तथा कुछ और तो वह संसद के कानून के अनुसार अपनी ड्यूटी बजाने के लिए उनका इस्तेमाल करेगा ही.’
एक सवाल के जवाब में शौरी ने कहा कि राजन रहेंगे या जाएंगे, इसकी जानकारी मुझे सबसे बाद में होगी, लेकिन जहां तक उनके पेशेवर क्षमता का सवाल है तो उस पर कोई संदेह नहीं है. शौरी ने कहा कि सरकार की वास्तविक मंशा का पता तब चलेगा, जब यह सामने आएगा कि वह किस प्रकार के व्यक्ति को राजन के स्थान पर लाती है. देखना है, क्या आप डा वाइबी रेड्डी जैसा मजबूत स्वतंत्र आदमी लाते हैं या फिर औरों की तरह कोई नियामक ढूंढते हैं.