इशरत मामला : चार दस्तावेज गायब, जांच करने वाले अफसर ने गवाह को दी थी पूछताछ की ट्रेनिंग

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले से संबंधित गायब फाइलों की जांच कर रहे आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय से गुम हुए पांच दस्तावेजों में से केवल एक कागज मिला है. लापता फाइलों की जांच कर रहे एक सदस्यीय जांच आयोग ने कहा है कि सितंबर, 2009 में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2016 10:33 AM

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले से संबंधित गायब फाइलों की जांच कर रहे आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय से गुम हुए पांच दस्तावेजों में से केवल एक कागज मिला है. लापता फाइलों की जांच कर रहे एक सदस्यीय जांच आयोग ने कहा है कि सितंबर, 2009 में कागजात ‘जाने या अनजाने में हटाये गये या खो गये’. वहीं, एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक गायब कागजातों की जांच का नेतृत्‍व करने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी बीके प्रसाद ने ना सिर्फ एक गवाह को पूछे जाने वाले सवाल बताए, बल्कि यह भी बताया कि उसे जवाब क्‍या देना है.रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने गवाह को बताया कि उसे यह कहना है कि उसने कोई कागजात नहीं देखे.

हालांकि अपने ऊपर लगेइन आरोपों को खारिज करते हुए एक न्यूज चैनल से बातचीत में इशरत जहां मामले में जांच कर रही समिति के हेड बीके प्रसाद ने कहा कि मामले की जांच के दौरान जिस किसी को फोन करते थे तो लोग डर जाते थे कि उनसे क्या पूछताछ होगी.उन्होंने कहा कि वो डरे नहीं इसलिए मैंने अधिकारी को कहा कि आपने उस समय फाइल देखी है, अगर नहीं देखा तो बता देना और अगर देखा तो भी बता देना.

वहीं, अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इशरत जहां मुठभेड़ से जुड़ी फाइलें गुम होने की जांच के लिए बनी समिति के प्रमुख ने गवाहों को पहले ही जवाब रटवा दिये थे. गवाहों को यह भी बता दिया गया कि उनसे क्या सवाल किये जाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक बीके प्रसाद ने गवाह से कहा कि मेरे को ये पूछना है कि आपने ये पेपर देखा. आपको कहना है कि मैंने ये पेपर नहीं देखा. रिपोर्टकीमानें तो बीके प्रसाद ने यह मामले के गवाह और गृहमंत्रालय के पूर्व निदेशक अशोक कुमार से यह कहा है. गौर हो कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीतेदस मार्च को लोकसभा में इशरत जहां से जुड़ी फाइलों के गुम होने की जांच के लिए समिति बनायी थी. बीके प्रसाद ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

अखबारकी रिपोर्ट के मुताबिक25 अप्रैल को दोपहर करीब 3.45 बजे रिपोर्टर ने प्रसाद को फोन किया. रिपोर्टर नेउनसेकिसीअन्य मामले पर जानकारी लेने के फोन कियाकियाथा. प्रसाद का जवाब रिपोर्टरद्वारा रिकॉर्ड किया. इसी दौरान प्रसाद को दूसरा फोन आया और उन्होंने रिपोर्टर को होल्ड कर दूसरे फोन पर बात करनी शुरू कर दी. वे फोन पर इशरत जहां से जुड़ी फाइलों के गुम होने की जांच से संबंधित बात कर रहे थे. यह बातचीत भी रिपोर्टर के फोन में रिकॉर्ड हो गयी. जहां प्रसाद एकअधिकारी से बात कर रहे थे जिसे अगले दिन अपना बयान दर्ज करना था.

पांच दस्तावेजों में से केवल एक कागज मिला
गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बीके प्रसाद ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को इस मामले से संबंधित अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय से गुम हो गये इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले से संबंधित पांच दस्तावेजों में से केवल एक कागज मिला है.

जाहिर है कि दस्तावेज जानबूझकर या अनजाने में हटाये गये या खो गये. हालांकि, जांच आयोग ने रिपोर्ट में चिदंबरम या तत्कालीन यूपीए सरकार के किसी अन्य व्यक्ति का कोई उल्लेख नहीं किया है. उस समय कांग्रेस
नेता चिदंबरम गृहमंत्री थे. तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लै समेत 11 सेवारत और सेवानिवृत्त अफसरों के बयानों पर 52 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गयी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेज 18 से 28 सितंबर, 2009 के बीच लापता हो गये. इस मामले में गुजरात हाइकोर्ट में 29 सितंबर, 2009 को दूसरा हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया था कि इस बात के निर्णायक सबूत नहीं हैं कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी.

गृह मंत्रालय ने आरटीआइ कार्यकर्ता से कहा साबित करें कि आप भारतीय हैं
एक असामान्य घटना में गृह मंत्रालय ने इशरत जहां मामले से जुड़ी लापता फाइलों से संबंधित मामले को देखने वाली एक सदस्यीय समिति का ब्योरा जाहिर करने से पहले एक आरटीआइ याचिकाकर्ता से यह साबित करने को कहा है कि वह भारतीय है. मंत्रालय में दायर आरटीआइ याचिका में समिति की ओर से पेश रिपोर्ट की प्रति के अलावा आइएएस बीके प्रसाद को दिये गये सेवा विस्तार से जुड़ी फाइल नोटिंग का ब्योरा मांगा गया था.

गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, इस संबंध में यह आग्रह किया जाता है कि आप कृपया अपनी भारतीय नागरिकता का सबूत प्रदान करें. आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि यह सरकार की ओर से सूचना
के निर्वाध प्रवाह और पारदर्शिता का मार्ग अवरुद्ध करने का तरीका है. भारतीय नागरिकता का सबूत मांगने को हतोत्साहित किये जाने की जरूरत है. ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय सूचना देने में देरी करना चाहता है.

…तब चिदंबरम थे गृह मंत्री
जो दस्तावेज गुम हुए हैं, उनमें 18 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा अटार्नी जनरल को भेजे गये पत्र की प्रति और अनुलग्नक, 23 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा एजी को भेजे गये पत्र की कार्यालयीन प्रति व मसौदा, जो बाद में हलफनामा बना तथा जिसे बाद में तत्कालीन गृह मंत्री ने 24 सितंबर, 2009 को संशोधित किया और 29 सितंबर, 2009 को गुजरात हाइकोर्ट में दाखिल हलफनामे की कार्यालयीन प्रति शामिल हैं. एक अन्य कागजात 18 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा एजी को भेजा गया पत्र था. तब पी चिदंबरम गृह मंत्री थे.

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