सरकार सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए करेगी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल : राजनाथ
नडाबेट (गुजरात) : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र ने देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित रखने के वास्ते प्रौद्योगिकी सहयोग प्रदान करने के लिए गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है. सिंह ने पाकिस्तान सीमा के समीप यहां एक कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) […]
नडाबेट (गुजरात) : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र ने देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित रखने के वास्ते प्रौद्योगिकी सहयोग प्रदान करने के लिए गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है. सिंह ने पाकिस्तान सीमा के समीप यहां एक कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘अबतक सीमाएं हमारे जवानों के प्रयासों से सुरक्षित रहीं. अब हम रडार, लेजर, सीसीटीवी, सेंसर और कई अन्य चीजों का इस्तेमाल कर अपनी सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए बडे पैमाने पर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने जा रहे हैं.’ ‘समग्र समेकित सीमा प्रबंधन प्रणाली’ नामक इस परियोजना में बीएसएफ प्रहरी को मदद पहुंचाकर नवीनतम प्रौद्योगिकी के जरिए सीमाएं सुरक्षित रखना है.
गृहमंत्री ने कहा, ‘हम गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब और त्रिपुरा जैसे राज्यों में पहले ही प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू कर चुके हैं.’ जब उनसे जम्मू कश्मीर सीमा पर घुसपैठ की कोशिशों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमारे जवान भी पहले की तुलना में अधिक संख्या में आतंकवादियों को मार रहे हैं. और पिछले दो सालों में सफल घुसपैठ में 38-50 फीसदी तक कमी आयी है.’ सिंह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जहां सूरत की हीरा कंपनी ने देश में विभिन्न स्थानों पर ड्यूटी के दौरान शहीद हुए गुजरात के 21 बीएसएफ जवानों के परिवारों को 51-51 हजार रुपये प्रदान किए. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या गुजरात में भी पाकिस्तान से तत्काल सीमापार घुसपैठ का कोई खतरा है जैसा कि खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है,
उन्होंने कहा कि आतंकवाद गुजरात तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह वैश्विक समस्या है. उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में इस्लामिक देशों समेत कई देशों को साथ लाया है. मैं पहले ही कह चुका हूं कि हमें आतंकवाद को जाति या धर्म के आधार पर नहीं देखना चाहिए.’ दिवंगत बीएसएफ जवानों के परिवार के सदस्यों को सहयोग पहुंचाने को लेकर कारपोरेट के प्रयासों की सराहना करते हुए सिंह ने कहा, ‘मैंने कारपोरेटों से बात की है ताकि देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वालों के परिवारों की देखभाल हो सके.’ उन्होंने कहा कि एक उद्योगपति पहले ही ऐसे जवानों के 300 बच्चों की (पढाई लिखाई की) जिम्मेदारी ले चुका है.