नयी दिल्ली : कल यानी 21 जून को अंतरार्ष्ट्रीय योग दिवस है और इससे पहले रविवार शाम को बाबा रामदेव ने राजपथ को योगपथ बना दिया और ‘ओम’ के उच्चारण का अर्थ समझाया. उन्होंने कहा कि ‘ओम’ के उच्चारण से किसी का धर्म नहीं बदलता है. योग के दौरान ‘ओम’ के उच्चारण और ‘सूर्य नमस्कार’ करने को लेकर कुछ समुदायों के विरोध के बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने रविवार को कहा कि इनसे किसी का धर्म नहीं बदलता है और इनकी प्रकृति ‘‘धर्मनिरपेक्ष तथा वैश्विक है.”
रामदेव ने कहा कि शनिवार को दुबई में आयोजित योग शिविर में वहां आये लोगों को विकल्प दिया गया कि वे ‘ओम’ या ‘आमेन’ कह सकते हैं और उन्होंने ‘आमेन’ के स्थान पर ‘ओम’ कहना पसंद किया. इस योग शिविर में शाही परिवार के सदस्यों के अलावा हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों ने हिस्सा लिया.
राजपथ पर आयुष मंत्रालय की ओर से आयोजित योग कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उन्हें ‘‘आध्यात्मिक” भावना महसूस किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों एम. वैंकैया नायडू, अरुण जेटली और बाबुल सुप्रियो के अलावा भाजपा सांसदों मीनाक्षी लेखी, मनोज तिवारी और विजय गोयल सहित बडी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. बडा एफएमसीजी एम्पायर खडा करने वाले रामदेव ने कहा कि अगले तीन वर्षों में पतंजली आयुर्वेदिक दवाओं का जीवों और मनुष्यों पर परीक्षण करेगी तथा योग का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा कि योग करने के दौरान आप ‘आमेन’ या ‘ओम’ कह सकते हैं, लेकिन कई लोगों और ज्यादातर मुसलमानों से ‘आमेन’ के स्थान पर ‘ओम’ कहा उन्होंने कहा कि ओम के उच्चारण से उन्हें मानसिक शांति मिली।” उन्होंने दावा किया कि राजपथ पर इस कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शुभकामनाएं दीं.