NSG सदस्यता प्रयासों के लिए जयशंकर सोल रवाना, नरम पड़ा चीन
नयी दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के प्रयासों के क्रम में विदेश सचिव एस जयशंकर गुरुवार से शुरू हो रही एनएसजी की पूर्ण बैठक से पहले आज सोल रवाना हो गये हैं. जयशंकर का प्रयास होगा कि सदस्य देशों का समर्थन मिले और भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल कर सके. […]
नयी दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के प्रयासों के क्रम में विदेश सचिव एस जयशंकर गुरुवार से शुरू हो रही एनएसजी की पूर्ण बैठक से पहले आज सोल रवाना हो गये हैं. जयशंकर का प्रयास होगा कि सदस्य देशों का समर्थन मिले और भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल कर सके. भारत जहां सदस्यता पाने की उम्मीद कर रहा है, वहीं चीन और कुछ अन्य देश इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. हालांकि चीन का विरोध थोड़ा नरम पड़ा है.चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज कहा कि तीन बार भारत व पाकिस्तान की एनएसजी सदस्यता पर एनएसजी में अनौपचारिक चर्चा हुई है.चीन उन देशों के समूह की अगुवाई कर रहा है जो NSG में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं. तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड भी भारत की सदस्यता के विरोध में हैं.
जयशंकर सोमवार से शुरू हुई 48 देशों वाले समूह की आधिकारिक स्तर की वार्ता के दौरान हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखे हुए थे. सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं ‘निरस्त्रीकरण तथा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा’ प्रभाग के प्रभारी अमनदीप सिंह गिल समर्थन ‘‘जुटाने’ और भारत के मामले की ‘‘व्याख्या’ करने के लिए पहले से ही सोल में हैं. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और यदि कोई एक देश भी भारत के खिलाफ मतदान करता है तो सदस्यता पाने का उसका प्रयास विफल हो जाएगा.
Foreign Secretary S Jaishankar leaves for Seoul, ahead of NSG Plenary from tomorrow, to shore up India's efforts for membership.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 22, 2016
हालांकि, समूह के अधिकतर देशों ने भारत का समर्थन किया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि चीन के साथ ही तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं. दूसरी ओर ताशंकद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से शुरू शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक के इतर चीनी राष्ट्रपति से मिल सकते हैं. मोदी चीनी राष्ट्रपति से एनएसजी मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं.
चीन ने प्रत्यक्ष विरोध का रास्ता छोड़ दिया है और नरम पड़ते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुइनिंग ने को कहा था, ‘हम किसी देश पर टारगेट नहीं कर रहे. भारत या पाकिस्तान. हमारी चिंता केवल परमाणु प्रसार संधि (एनपीटी) को लेकर है.’ चीनी अधिकारियों ने कहा, ‘गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के लिए दरवाजे खुले हुए हैं लेकिन NSG के सदस्यों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या इसके लिए मानदंड बदला जाना चाहिए.’
NSG members had three rounds of unofficial discussions on India and Pakistan's membership in the grouping: Chinese Foreign Ministry spokespe
— Press Trust of India (@PTI_News) June 22, 2016
अमेरिका भारत के पक्ष में है और व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी जोश अर्नेस्ट ने कहा, ‘अमेरिका का मानना है कि भारत NSG की सदस्यता के लिए तैयार है और इसके दावे का समर्थन किया जाना चाहिए.’ जबकि चीन का कहना है कि भारत को यदि सदस्यता के मुद्दे पर कोई छूट मिलती है तो पाकिस्तान को भी इसमें प्रवेश मिलना चाहिए.