इसरो ने रचा इतिहास: पढें, PSLV-C34 के संबंध में कुछ खास बातें

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : एक साथ 20 सैटेलाइट लॉन्च कर इसरो ने आज अपना ही रिकॉर्ड ब्रेक कर दिया. सुबह 9: 25 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C34 लॉन्च किया गया जिसने 26 मिनट 30 सेकंड में सभी सैटेलाइट स्पेस में पहुंचा दिए. इन सैटेलाइटों में भारत का कार्टोसैट-2 सीरीज भी शामिल है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2016 2:10 PM

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : एक साथ 20 सैटेलाइट लॉन्च कर इसरो ने आज अपना ही रिकॉर्ड ब्रेक कर दिया. सुबह 9: 25 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C34 लॉन्च किया गया जिसने 26 मिनट 30 सेकंड में सभी सैटेलाइट स्पेस में पहुंचा दिए. इन सैटेलाइटों में भारत का कार्टोसैट-2 सीरीज भी शामिल है इसके साथ 19 अन्य सैटेलाइटों ‘सन सिंक्रोनस ऑर्बिट’ या सूर्य स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया. आपको बता दें कि श्रीहरिकोटा चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर है. आइए जानते हैं इस इतिहासगार पल की कुछ बातें…

1. कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट 727.5 किलोग्राम का है और यह नियमित तौर पर रिमोट सेंसिंग सेवा प्रदान करेगा तथा इसके द्वारा ली गई तस्वीरों का बहुद्देशीय उपयोग होगा. इस उपग्रह में पैनक्रोमैटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरे लगे हुए हैं.

2. कार्टोसैट-2 के अलावा जिन 19 सैटेलाइटों को प्रक्षेपित किया गया है उनमें अमेरिका के 12 अर्थ इमेजिंग ‘डव’ उपग्रह तथा एक अन्य अमेरिकी उपग्रह शामिल हैं. शेष दो उपग्रह कनाडा और एक-एक उपग्रह जर्मनी और इंडोनेशिया के हैं.

3. दो शैक्षणिक सैटेलाइटों को भी प्रक्षेपित किया गया है. चेन्नई के सत्यबामा विश्वविद्यालय का एक उपग्रह (सत्यबामासैट) तथा दूसरा पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का उपग्रह (स्वयं) है.

4. कार्टोसैट-2 का इस्तेमाल मानचित्रण (कार्टोग्राफी), शहरी एवं ग्रामीण ऐप्लीकेशन, तटीय भूमि उपयोग एवं नियमन, सडक नेटवर्क की निगरानी और जल वितरण जैसे सुविधा प्रबंधन के लिए हो सकेगा. कार्टोसैट-2 उपग्रह का उपयोग भूमि उपयोग मानचित्र तैयार करने, सटीक अध्ययन तथा कई भू सूचना प्रणाली तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली अप्लीकेशनों के लिए भी हो सकेगा. यह पहले के कार्टोसैट-2, 2ए और 2बी की तरह है.

5. इन 20 सैटेलाइटों के प्रक्षेपण के साथ पीएसएलवी ने 2008 के अपने उस रिकॉर्ड को तोड दिया है जब उसने एक साथ 10 सैटेलाइटों को कक्षाओं में स्थापित किया था. ‘एक्सएल’ संरचना के संदर्भ में पीएसएलवी की यह 14वीं उडान रही. एक्सएल संरचना अधिक से अधिक भार ले जा सकता है.

6. पीएसएलवी-सी-34 के माध्यम से 20 सैटेलाइटों को प्रक्षेपित किया गया उनका कुल वजन करीब 1288 किलोग्राम था.

7. भारत के पास 11 भू सर्वेक्षण सैटेलाइट परिचालन की स्थिति में हैं जिनमें रिसोर्ससैट-1 और 2, कार्टोसैट-1, 2, 2ए, 2बी, रिसैट-1 और 2, ओसनसैट-2 शामिल हैं.

8. साल 1988 से अपनी शुरुआत करके इसरो ने कई रिमोट सेंसिंग सैटेलाइटों को प्रक्षेपित किया है और इनसे मिले डेटा का इस्तेमाल कृषि, जल एवं समुद्र संसाधनों तथा आपदा प्रबंधन के लिए किया जाता है.

पीएम मोदी ने दी बधाई तो इसरो प्रमुख भी हुए खुश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई दी और आज के प्रक्षेपण को यादगर उपलब्धि करार दी. मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘एक साथ 20 उपग्रह इसरो लगातार नए आयाम गढ रहा है. इस यादगार कामयाबी पर हमारे वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई.’ इसरो प्रमुख ए. एस. किरण कुमार ने भी ‘रिकॉर्ड समय में’ इस सफल प्रक्षेपण के लिए अपनी टीम को बधाई दी और कहा कि ‘पीएसएलवी-34 ने अपना काम किया है. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कार्टोसैट 2 सीरीज की मौजूदा पीढी का भू सर्वेक्षण उपग्रह है. इसरो ने शानदार काम किया है.’ एसडीएससी-एसएचएआर के निदेशक पी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि पीएसएलवी ने लगातार अपने 35वें सफल मिशन के माध्यम से बडी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने कहा, ‘‘पीएसएलवी भारत और इसरो के लिए सफलता का प्रतीक बप गया है. इसरो अधिक से अधिक पेशेवर रुख को अपना रहा है.’ मिशन निदेशक डी जयकुमार ने आज के प्रक्षेपण को बडी सफलता करार दिया और कहा कि इस यान का प्रदर्शन बहुत ही बढिया रहा.

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