नयी दिल्ली : भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन को पर निशाना साधते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है. उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में सुब्रमण्यन के भारत के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाया है हालांकि भाजपा ने उनके इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है और बयान को स्वामी का निजी विचार कहा है. आपको बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी एक ऐसे शख्सियत हैं जिन्हें वन मैन आर्मी माना जाता है. उन्हें कानून भी ज्ञान हैं और अर्थशास्त्र के भी ज्ञाता है. इस बार भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा है लेकिन हाल के घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि वह अपनी ही पार्टी के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब स्वामी के निशाने भाजपा है इससे पहले भी जब वे भाजपा के साथ नहीं थे तो उन्होंने कूटनीति व राजनीति से अटल सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर दीं थीं.
कूटनीति व राजनीति उनके रगों में इतनी तेजी से दौड़ती है कि वे कब क्या करेंगे, उनका करीबी से करीबी व्यक्ति भी नहीं बता सकता. उनके ‘शिकार’ भारतीय राजनीति की दिग्गज से दिग्गज शख्सीयत होती रही है. चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, सोनिया गांधी-राहुल गांधी या फिर जयललिता हों. इस बार उनके निशाने पर देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम हैं. इससे पहले रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन का वह विरोध कर चुके हैं.
भाजपा को पड़ रहा है मंहगा
अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील पर वे नये सिरे से कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमलावर दिख चुके हैं. राज्यसभा में आये हुए उन्हें दो-चार दिन ही हुए हैं, लेकिन उन्होंने सदन के अंदर अपनी उपस्थिति से कांग्रेस को बेचैन और हैरान-परेशान कर दिया जिसके बाद राज्य सभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बीजेपी से साफ-साफ कहा कि तुम राज्य सभा में जो नया तोहफा लाये हो वह तुम्हें भी मंहगा पड़ेगा और तुम भी बहुत पछताओगे. आनंद शर्मा की यह बात हालिया के दिनों में सच साबित होती नजर आ रही है.
वाजपेयी की सरकार और स्वामी
संसद में सोनिया गांधी को मुश्किल में डालने वाले स्वामी ने 1999 में वाजपेयी सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके लिए उन्होंने सोनिया और जयललिता की मुलाक़ात भी कराई. जयललिता तात्कालिक सरकार के गठबंधन की बेहद अहम सहयोगी थीं और वो सुब्रमण्यम स्वामी को वित्त मंत्री बनाने पर अड़ गईं थीं. मार्च 1999 में स्वामी ने अपनी चर्चित चाय-पार्टी आयोजित की जिसमें उन्होंने सोनिया और जयललिता को आमने-सामने बिठा दिया और दोनों नेता क़रीब आ गईं.
पहले भी भिड़ चुके हैं मोदी से
भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल जेट की डील में भी सुब्रमण्यम स्वामी ने अडंगा डालने की कोशिश की थी. स्वामी ने मोदी सरकार को खुली धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत इस डील को करता है तो वह मोदी सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे. आपको बता दें कि उस वक्त भी स्वामी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य के पद पर थे. उन्होंने इस पद पर रहते हुए भी पीएम मोदी से अपील की थी कि वह फ्रांस से राफेल सौदा नहीं करें क्योंकि राफेल जेट बेहद की घटिया गुणवत्ता के हैं और इसकी गुणवत्ता की पोल लिबिया और मिस्र में खुल चुकी है साथ ही यह काफी महंगा भी है.