भारत के NSG में प्रवेश के विरोध में आये 5 और देश

नयी दिल्ली : भारत का NSG में प्रवेश के विरोध में अब और पांच देशों का नाम जुड़ गया है. इनमें ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की शामिल है. चीन पहले ही भारत की इंट्री का विरोध करता रहा है. भारत एनएसजी में प्रवेश के लिए कई देशों से बात कर रहा है. रूस और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2016 7:42 PM

नयी दिल्ली : भारत का NSG में प्रवेश के विरोध में अब और पांच देशों का नाम जुड़ गया है. इनमें ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की शामिल है. चीन पहले ही भारत की इंट्री का विरोध करता रहा है. भारत एनएसजी में प्रवेश के लिए कई देशों से बात कर रहा है. रूस और अमेरिका समेत कई ऐसे देश हैं जो भारत को एनएसजी का सदस्य बनाना चाहते हैं लेकिन चीन के साथ अब कुछ देश और मिलकर इसका विरोध कर रहे हैं.

एनएसजी में कुल 48 देश शामिल है. भारत इन देशों को मनाने की कोशिश में लगा है लेकिन पाकिस्तान लगातार इसका विरोध कर रहा है. भारत के विरोध में पाकिस्तान का तर्क है कि भारत को परमाणु साजो-सामान और तकनीक देने से उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बड़ी मदद मिलेगी. इससे परमाणु हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन यह तर्क बेमानी है, क्योंकि पाकिस्तान फिसिल मैटेरियल कट-ऑफ ट्रीटी का जोरदार विरोध करता है, जो सभी देशों में परमाणु हथियारों को कम करने के लिए लाया गया है. यह संधि पाकिस्तान की शंकाओं का समाधान करती है, पर उसने इसे मानने से इनकार कर दिया है.
चीन का कहना है कि जिन आधारों पर भारत को सदस्यता दी जा सकती है, उन्हीं आधारों पर अन्य देशों को भी एनएसजी में शामिल किया जाना चाहिए. ऐसे में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में पाकिस्तान के शामिल होने की राह भी खुल जायेगी, जिस पर अनेक देशों को आपत्ति है, क्योंकि पाकिस्तान ने गुप-चुप तरीके से ईरान, लीबिया और उत्तरी कोरिया को परमाणु तकनीक मुहैया कराया है. अब चीन के इसी पक्ष के साथ कई देश जुड़ गये हैं. अब भारत के लिए राह और कठिन हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज चीन से भारत की एनएसजी सदस्यता की कोशिश का समर्थन करने का अनुरोध किया, लेकिन चीन के नेतृत्व में इसके सख्त विरोध के चलते 48 सदस्यीय समूह की बैठक में इस मुद्दे पर कोई सफलता नहीं मिल पाई है. मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ताशकंद में मुलाकात की जबकि वहां से लगभग 5,000 किलोमीटर दूर दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में एनएसजी सदस्यों की रात्रिभोज के बाद की विशेष बैठक में भारत का मामला उठा हालांकि यह औपचारिक एजेंडा में नहीं था .
एनएसजी के सदस्य देश इसमें भारत के प्रवेश को लेकर विभाजित हैं क्योंकि भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. समझा जाता है कि भारत की सदस्यता के मुखर विरोधी चीन के अलावा तुर्की, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और आयरलैंड ने भी यह रुख अख्तियार किया कि भारत के मामले में कोई अपवाद नहीं बनाया जा सकता. जाहिर है कि मोदी का अनुरोध चीन के रुख में बदलाव नहीं ला पाया लेकिन एनएसजी की दो दिवसीय पूर्ण बैठक के आखिरी दिन कल क्या होता है उसे देखना फिलहाल बाकी है.
हालांकि, एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत जैसे देशों को सदस्य बनाने का मुद्दा एजेंडा में नहीं था, लेकिन समझा जाता है कि जापान और कुछ अन्य देशों ने उदघाटन सत्र में इस विषय को उठाया जिसके चलते रात्रिभोज के बाद की विशेष बैठक में इस पर विचार किया गया.
भारत के मामले पर जोर देने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर के नेतृत्व में भारतीय राजनयिक सोल में हैं. हालांकि, भारत की सदस्यता के अभाव में वे पूर्ण बैठक में प्रतिभागी नहीं हैं. लेकिन उन्होंने इस सिलसिले में कई प्रतिनिधिमंडलों के नेताओं से मुलाकात की. पूर्ण बैठक में 48 सदस्य देशों के करीब 300 प्रतिभागी शरीक हो रहे हैं जिसके पहले आधिकारिक स्तर का सत्र 20 जून को शुरु हुआ था.

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