22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

SC तय करेगा तीन तलाक का मामला

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि अदालत किस हद तक मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल दे सकती है और क्या उसके कुछ प्रावधानों से नागरिकों के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए सभी पक्षकारों को अपना उत्तर प्रति उत्तर […]

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि अदालत किस हद तक मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल दे सकती है और क्या उसके कुछ प्रावधानों से नागरिकों के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए सभी पक्षकारों को अपना उत्तर प्रति उत्तर दाखिल करने का समय दिया और सुनवाईछह सितंबर को तय कर दी.

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई का मन बनाते हुए सभी पक्षकारों से कहा कि इस मुद्दे से बहुत लोग प्रभावित होते हैं.कोर्ट इसके कानूनी पहलू पर विचार करेगा. याचिकाकर्ता कानूनी प्रश्न तय करें जिन पर बहस और विचार किया जा सकता है. संविधान के दायरेएवं पूर्व फैसलों को ध्यान में रखते हुएकोर्ट देखेगा कि किस हद तक दखल दिया जा सकता है. अगर कोर्ट को लगा कि पूर्व फैसलों में ये मुद्दा तय किया जा चुका है तो आगे सुनवाई नहीं करेगा लेकिन अगर यह लगा कि विस्तृत विचार की जरूरत है तो आगे सुनवाई की जाएगी. जरूरत हुई तो बड़ी पीठ को भी भेजा जायेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर हो रही टीवी डिबेट पर रोक लगाने से भी इनकार किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि टीवी को अपना शो चलाना है, जिसमें आप भी हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इन शो से प्रभावित नहीं होता.

कोर्ट ने यह बात तब कही जब मुस्लिम महिलाओं के हक की दुहाई देते हुए मुस्लिम महिला संगठनों और तीन तलाक की पीड़ित याचिकाकर्ता महिलाओं ने इसे समाप्त करने की मांग की. दरअसल, चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें कहीं, जबकि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना था कि इस मामले में सारे कानूनी पहलू देखे-जांचे जा चुके हैं और फैसले भी आ चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को मामले में सुनवाई करनी ही नहीं चाहिए.

वहीं, केंद्र सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है. कोर्ट ने इसके लिए छह सप्ताह का समय दे दिया. दो सप्ताह याचिकाकर्ताओं को दिये. कोर्ट ने कई संगठनों को पक्षकार बनने और जवाब दाखिल करने की अनुमति दी.

याचिकाकर्ता ने पर्सनल ला बोर्ड पर लोगों को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए मीडिया में उनके बयान जारी करने पर रोक लगाने की मांग की थीऔर कहा था कि जैसे बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट ने मीडिया बहस पर रोक लगायी थी वैसे ही इस मामले में लगायी जाए.

उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़े मुद्दे जैसे तीन तलाक, बहु विवाह आदि पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया था. बाद में तीन याचिकाएं भी दाखिल हो गयीं. जिनमें दो तो तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं की हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें