कभी आहलूवालिया का ”हाथ” कांग्रेस के साथ था

नयी दिल्ली : सुरेंद्रजीत सिंह (एसएस) अहूलवालिया इस समय पश्‍चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से भाजपा सांसद हैं. इससे पहले वे कई बार राज्‍यसभा के सांसद चुने जा चुके हैं. ऐसे कम ही लोगों होंगे जिन्हें मालूम होगा कि 64 वर्षीय आहलूवालिया ने अपनी सियासत की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. पी वी नरसिम्हा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2016 1:16 PM

नयी दिल्ली : सुरेंद्रजीत सिंह (एसएस) अहूलवालिया इस समय पश्‍चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से भाजपा सांसद हैं. इससे पहले वे कई बार राज्‍यसभा के सांसद चुने जा चुके हैं. ऐसे कम ही लोगों होंगे जिन्हें मालूम होगा कि 64 वर्षीय आहलूवालिया ने अपनी सियासत की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में मंत्री से लेकर प्रमुख विधेयकों पर भाजपा के लिए ‘शोधकर्ता’ की जिम्मेदारी निभा चुके आहलूवालिया के पार्टी लाइन से हटकर सभी दलों से संपर्क हैं और शब्दों को तौलकर बोलने के लिए पहचाना जाता है.

पटना के इस राजनीतिज्ञ को किसी भी मुद्दे पर अपनी एक ठोस राय कायम करने के लिए जाना जाता है फिर भले उनकी राय पार्टी के रुख से अलग हो. राव सरकार में मंत्री रहते आहलूवालिया ने तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सीताराम केसरी के पार्टी मामलों को देखने के तरीके को लेकर उनपर खुला हमला बोला था. केसरी भी बिहार से ही थे. लोकसभा में नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट्स एक्ट (लिखत पराक्रम्य अधिनियम) में संशोधन के संदर्भ में चल रही एक चर्चा के दौरान वह वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ बोले थे. भाजपा ने समिति की बैठकों में आहलूवालिया की कम उपस्थिति के चलते संसद की प्रमुख लोक लेखा समिति में उन्हें नामित नहीं किया था. विवादित भूमि विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष के रुप में आहलूवालिया ने यह सुनिश्चित किया कि समिति में मौजूदा राजनीतिक विभाजन से कार्यवाही बाधित न हो.

भाजपा में शामिल होने के बाद आहलूवालिया पार्टी के लिए बहुत उपयोगी साबित हुए. भाजपा के विपक्ष में रहने के दौरान उन्होंने 2जी घोटाले पर बनी जेपीसी के सदस्य के रुप में एक अहम भूमिका निभाई और कागजों के ढेर को पढकर, उनमें से जरुरी बातें लिखना और फिर प्रतिद्वंद्वी पर हमला बोलने के लिए तर्कों के हथियार ढूंढ निकालना उनकी खासियत मानी जाती है. जब वह सांसद नहीं भी थे, तब भी उन्हें विभिन्न स्थायी समितियों की सिफारिशों को देखने के लिए कहा गया था. उन्हें ऐसे जरुरी संशोधनों के बारे में बताने के लिए कहा गया था, जिन्हें प्रमुख विधेयकों के संसद में चर्चा के लिए आने पर लाया जाना चाहिए.

आहलूवालिया चटख रंग की पगडी पहनना पसंद करते हैं. वह पंजाबी के अलावा बंगाली, भोजपुरी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर खास पकड रखते हैं. दार्जीलिंग से लोकसभा सदस्य आहलूवालिया 1986-92, 1992-98, 2000-06 और 2006-12 में राज्यसभा में बिहार और झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्ष 2012 में झारखंड से अपनी सीट खोने से पहले तक वह राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता भी रहे.

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