नयी दिल्ली : पर्यावरण मंत्रालय संभाल चुके प्रकाश जावड़ेकर अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय संभालेंगे. यह उनके लिए एक बड़ी तरक्की है. विनम्रव सहज जावड़ेकरके राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई. खुद को हमेशा लो प्रोफाइल रखने वाले जावड़ेकर अपने पूर्ववर्ती मंत्री स्मृति ईरानी के ठीक उलट बेहद शांत-संयत स्वभाव के हैं. मीडिया के साथ उनके रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं. यूपीए सरकार के दौरान पर्यावरण मंत्रालय विवादों का गढ़ बन चुका था. कई प्रोजेक्ट अटके पड़े थे. लिहाजा, देश का निवेश चक्र प्रभावित हो रहा था. इससे उलट, जावड़ेकर ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ तालमेल बैठा कर तेजी से काम किया. उन्होंने पीएमओ के हर टास्क को समय पर पूरा किया, जिससे रुकी परियोजनाओं को गति मिली. पेरिस में हुए क्लाइमेट समिट में उनके काम की तारीफ हुई.
दो सालों में उन्होंने अपने कामकाज से पीएमओ का विश्वास जीता है. बतौर मानव संसाधनविकास मंत्री वो कितने कामयाब हो पाते हैं, यह वक्त ही बतायेगा. उन्हें न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की कसौटी पर खरा उतरना है, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उम्मीदाें को भी पूरा करना है. गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय वैसे चुनिंदा मंत्रालयाें में है, जिस पर आरएसएस की सीधी नजर होती है.
ध्यान रहे कि इस साल आम बजट में वर्ल्ड क्लास के 20 शिक्षण संस्थान स्थापित करने का बड़ा एलान किया गया था. इसकी स्स्थापना के लिए तैयार किये गये मसौदे के कुछ प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री कार्यालय असहमत था. प्रधानमंत्री कार्यालय इस प्रोजेक्ट की प्रगति पर चौकन्नी नजर रखे हुए था और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तौर-तरीकों से वह खिन्न था.
स्मृति ईरानी के समय में आइआइटी बंबई से प्रतिष्ठित वैज्ञानिक अनिल काकोडकर का इस्तीफा देना भी एक अहम मुद्दा बना. केंद्रीय विद्यायल से तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की जगह संस्कृत को रिप्लेस करने के लेकर भी विवाद हुआ. सीबीएसइ व कुछ आइआइएम के प्रमुख की नियुक्ति नहीं हो सकी है. आठ विश्वविद्यालयों में वीसी की नियुक्ति नहीं हो सकी है. इसके अलावा एआइसीटीइ और एनसीइआरटी व इंडियन काउंसिल ऑफ फिलासिफिकल रिसर्च में भी नियुक्ति लटकी है. स्मृति के कार्यकाल में दो वीसी को वित्तीय अनियमितता के आरोपों में हटाया गया.
हाल में पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी टीएसआर सुब्रमण्यन ने भी स्मृति से नाराजगी जताई थी कि स्मृति ईरानी नयी शिक्षा नीति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही हैं. सुब्रमण्यन नयी शिक्षा नीति को ड्राफ्ट करने वाली समिति के प्रमुख थे.
जानिए प्रकाश जावड़ेकर के जीवन से जुड़़ी महत्वपूर्ण बातें :
1. प्रकाश जावड़ेकर ने बी कॉम तक की पढ़ाई की है. राजनीति में आने से पहले वो बैंकिग सेक्टर में नौकरी करते थे.
2. छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संबंध रखने वाले जावड़ेकर की गिनती आरएसएस के करीबी भाजपा नेताओं में होती है. इमंरजेंसी के दौरान वो जेल भी जा चुके हैं.
3. इनके पिता केशव कृष्ण जावड़ेकर हिन्दू महासभा के नेता थे. इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के बेहद करीबी मित्र थे. बचपन से ही घर में स्वतंत्रता आंदोलन का माहौल देखते हुए पले-बढ़े जावड़ेकर का मन भी राजनीति में ही लगता था. लिहाजा, उन्होंने बैंक ऑफ महाराष्ट्र की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.
4. प्रकाश जावड़ेकर की पत्नी प्राची जावड़ेकर इंदिरा इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट, पुणे की डायरेक्टर रह चुकी हैं. प्रकाश जावड़ेकर के दो बेटे हैं – आशुतोष जावड़ेकर जो पेशे से डॉक्टर हैं, वहीं अपूर्व जावड़ेकर बोस्टन विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं.
5. कई किताब लिख चुके जावड़ेकर संसद में कई स्टैंडिग कमिटी के सदस्य रह चुके हैं.
6. 2014 में जब भाजपा की सरकार आयी तो उन्हें दो मंत्रालयों का प्रभार दिया गया है. पर्यावरण मंत्रालय व सूचना प्रसारण मंत्रालय. हालांकि पिछली फेरबदल में उनसे सूचना प्रसारण मंत्रालय का कार्यभार वापस ले लिया गया था. मोदी सरकार के दूसरे कैबिनेट फेरबदल में उन्हें कैबिनेट मंत्री का प्रमोशन दिया गया है.
7 जावड़ेकर का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है. उनके करीबी बताते हैं कि जावड़ेकर ने हमेशा खुद को लो प्रोफाइल रखा. दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे 65 वर्षीय जावड़ेकर ने पार्टी के सामने कभी अपनी महत्वाकांक्षा प्रकट नहीं की. वो संगठन का काम करते रहे,जो भी टास्कमिलाउसेपूरा करने में लग गये. यह बात उनके पक्ष में गयी.
8. पेरिस क्लाइमेट समिट के दौरान उन्होंने भारत का नेतृत्व किया. इसे बेहद महत्वपूर्ण समिट था. विश्व बिरादरी का भारत पर कम ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने का दवाब था. प्रकाश जावड़ेकर ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा.
9. जावड़ेकर को राष्ट्रीय राजनीति में दिवंगत प्रमोद महाजन ने सक्रिय किया. महाराष्ट्र से दिल्ली वही जावड़ेकर को लेकर आये. महाजन की मौत जावड़ेकर के लिए निजी तौर पर क्षति थी, लेकिन उन्होंने भाजपा के हर नेतृत्व चाहे वे राजनाथ सिंह हों या नितिन गडकरी या फिर अमित शाह सबसे तालमेल बैठाया.