22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

केंद्र से टकराव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया दिल्ली सरकार को झटका, सुनवाई से इनकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार का यह आग्रह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय को पहले यह फैसला करने के लिए कहा जाए कि क्या केंद्र और राज्य के बीच के विवाद उसके न्यायक्षेत्र में आते हैं या यह ‘केवल’ उच्चतम न्यायालय के दायरे में आता है. उच्चतम […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार का यह आग्रह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय को पहले यह फैसला करने के लिए कहा जाए कि क्या केंद्र और राज्य के बीच के विवाद उसके न्यायक्षेत्र में आते हैं या यह ‘केवल’ उच्चतम न्यायालय के दायरे में आता है. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि वह तब ही शीर्ष न्यायालय का रुख करें जब दिल्ली उच्च न्यायालय इस प्राथमिक मुद्दे समेत सभी मुद्दों पर फैसला कर ले कि क्या विवाद उसके न्यायक्षेत्र में है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित की खंडपीठ ने कहा कि जब उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई की है और न्यायक्षेत्र के प्राथमिक मुद्दे समेत तमाम मुद्दों पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है तो तमाम मुद्दों पर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद दिल्ली सरकार उसके समक्ष मामला पेश करे.

आप सरकार की अपील निबटाते हुए खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय एक ‘संवैधानिक अदालत’ है और उसे इस तरह के संवैधानिक मामलों का फैसला करने और उन्हें परिभाषित करने की शक्ति है. दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने केंद्र शासित प्रदेश के रुप में दिल्ली की शक्तियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों का जिक्र किया. इंदिरा ने कहा, ‘दिल्ली में निर्वाचित और जिम्मेदार सरकार है और इस मामले में इस अदालत का फैसला लागू होता है कि उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह से प्रशासन चलाना है.’

उन्होंने कहा कि यह विवाद सिर्फ उच्चतम न्यायालय में ही निबटाया जा सकता है. खंडपीठ ने कहा, ‘मुझे बताएं कि आखिर आप (दिल्ली सरकार) ने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों खटखटाया. आपने अनुच्छेद 226 के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अब उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित कर लिया और सभी अदालत को अपना न्यायक्षेत्र निर्धारित करने की शक्ति है. उच्च न्यायालय बडे अच्छे ढंग से न्यायक्षेत्र का फैसला कर सकता है कि क्या इसका फैसला अनुच्छेद 226 के तहत किया जा सकता है या अनुच्छेद 131 के तहत.’

इंदिरा ने अपनी संक्षिप्त दलील में कहा कि उच्च न्यायालय के पास केंद्र और राज्य के बीच के इस प्रकृति के विवाद का फैसला करने की कोई शक्ति नहीं है और इस लिए इससे कहा जाए कि वह प्राथमिक मुद्दे के तौर पर न्यायक्षेत्र के पहलू का फैसला करे. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता से पूछा कि दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय से अपनी याचिका क्यों नहीं वापस ली.

बहरहाल, उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार की इस दलील से सहमति जताई कि दो संघीय निकायों के बीच के संवैधानिक प्रकृति के विवाद का निबटारा तेजी से किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘आप विशेष अवकाश याचिका के साथ मामले में तब आए जब उच्च न्यायालय ने पहले ही फैसला सुरक्षित कर लिया है.’ पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को संवैधानिक मामलों पर अपने विचार रखने का अधिकार है क्योंकि वह ‘स्वतंत्र’ हैं. पीठ ने कहा, ‘अगर यह कोई दीवानी याचिका या रिट याचिका होती तो हमने तुरंत नोटिस जारी कर दिया होता. इस मामले में हम क्या आदेश पारित कर सकते हैं. हमें उच्च न्यायालय से क्यों कहना चाहिए कि इस मुद्दे पर गुणदोष के आधार पर फैसला करें या नहीं करें.’

केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के पूर्व के एक आदेश का जिक्र किया जिसमें शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि वह इस साल जुलाई अंत तक मामले को निबटा ले. रोहतगी ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरुप उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित कर लिए हैं. यह एक गलत एसएलपी है.’ खंडपीठ ने कहा कि ‘संवैधानिक मुद्दों से समझौता नहीं किया जा सकता. एक बार मामला उच्च न्यायालय में लंबित हो गया तो वह सही या गलत तरीके से मुद्दे का फैसला करेगा.’

दिल्ली सरकार की याचिका आज खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी क्योंकि उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस केहर और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव पहले ही सुनवाई से खुद को अलग कर चुके थे. अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने आग्रह किया था कि उसकी शक्तियों की घोषणा की जाए और अपनी शक्तियों के दायरे समेत अनेक मुद्दों पर दिल्ली उच्च न्यायालय को आदेश सुनाने से रोका जाए.

अरविन्द केजरीवाल सरकार ने चार जुलाई को यह सुनिश्चित करने की असफल कोशिश की थी कि राज्य के रुप में दिल्ली की शक्तियों की घोषणा की सुनवाई शक्तियों के दायरे समेत विभिन्न मुद्दों पर फैसला सुनाने से दिल्ली उच्च न्यायालय को रोकने की याचिका के साथ हो. इससे पहले अदालत दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करने पर राजी हो गई थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें