कानून मंत्रालय ने संसदीय समिति से कहा : 47 वर्ष पुराने कानून से मिलेगा सहयोग

नयी दिल्ली : एनआरआई विवाह में उत्पीडन का शिकार हुई महिलाओं को 1969 में बना कानून मदद कर सकता है. यह बात एक संसदीय समिति को बताई गई है. समिति के एक सदस्य ने बताया कि कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को राज्यसभा याचिका समिति को बताया कि विदेशी विवाह कानून 1969 में विदेशों में ब्याही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2016 4:52 PM

नयी दिल्ली : एनआरआई विवाह में उत्पीडन का शिकार हुई महिलाओं को 1969 में बना कानून मदद कर सकता है. यह बात एक संसदीय समिति को बताई गई है. समिति के एक सदस्य ने बताया कि कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को राज्यसभा याचिका समिति को बताया कि विदेशी विवाह कानून 1969 में विदेशों में ब्याही गईं महिलाओं की सहायता का प्रावधान है. मीडिया में आई अधिकतर खबरों में पति पहले से शादीशुदा होता है और भारत में फिर से शादी कर लेता है. कुछ मामलों में पति विदेश में दूसरी महिला से शादी कर लेता है और पहली पत्नी को छोड देता है.

एनआरआई से शादी करने के बाद महिलाओं को दहेज के लिए प्रताडना की समस्या का सामना भी करना पडता है. समिति ने यहां गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की और ‘प्रवासी भारतीयों से शादी करने के बाद भारतीय महिलाओं को आने वाली समस्याओं का समाधान निकालने’ पर चर्चा की. बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों ने कहा कि अधिकतर लोगों को इस कानून के बारे में पता नहीं है.

कानून को ‘भारत से बाहर शादी करने वाले भारतीय नागरिकों’ के लिए बनाया गया था. धारा 14 में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है कि कानून के तहत जब भी शादी होती है तो विवाह अधिकारी को विवाह प्रमाण पुस्तक में इसे सत्यापित करना होता है जिस पर शादी के पक्षों और तीन गवाहों का भी हस्ताक्षर होता है. सर्टिफिकेट ‘एक ठोस साक्ष्य होता है कि इस कानून के तहत शादी हुई है और शादी से पहले सभी औपचारिकताओं को पूरा किया गया है और इसके साथ गवाहों का हस्ताक्षर संलग्न है.’

कानून में जीवनसाथी के लिए ‘वैवाहिक राहत’ का भी प्रावधान है. सूत्रों ने कहा कि देश में विभिन्न पर्सनल कानून भी लागू होंगे और विदेशी विवाह कानून के तहत हुई शादियां उस कानून के तहत होंगी. बहरहाल सरकार ने एक समिति का गठन करने का निर्णय किया है ताकि अपनी पत्नियों को छोडने वाले एनआरआई के मामले से निपटते समय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई जा सके.

महिला और बाल विकास मंत्रालय को इस तरह की कई शिकायतें मिलने के बाद समिति बनाने का निर्णय किया गया है. महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने हाल में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी और एसओपी बनाने के लिए उनसे संयुक्त समिति बनाने का आग्रह किया था. एक बार एसओपी बन जाने पर इसे विदेशों में विभिन्न भारतीय दूतावासों के साथ साझा किया जाएगा.

Next Article

Exit mobile version