भारत में पांव पसारने की तैयारी में IS, बंगाल के सीमाई जिलों में बेरोजगार युवकों की भर्ती

कोलकाता: आईएसआईएस और जेएमबी जैसे आतंकवादी समूहों के आका पश्चिम बंगाल के सीमाई जिलों में अपने नेटवर्क के विस्तार के लिए बेरोजगार युवकों खासकर मुस्लिम समुदाय के युवकों को अपने चंगुल में फंसाकर आतंकवादी समूहों में भर्ती कर रहे हैं.जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) बेरोजगार युवकों को निशाना बना रहा है और आईएसआईएस भी यही तरीका आजमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2016 4:01 PM

कोलकाता: आईएसआईएस और जेएमबी जैसे आतंकवादी समूहों के आका पश्चिम बंगाल के सीमाई जिलों में अपने नेटवर्क के विस्तार के लिए बेरोजगार युवकों खासकर मुस्लिम समुदाय के युवकों को अपने चंगुल में फंसाकर आतंकवादी समूहों में भर्ती कर रहे हैं.जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) बेरोजगार युवकों को निशाना बना रहा है और आईएसआईएस भी यही तरीका आजमा रहा है.

पश्चिम बंगाल में सीआईडी के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि हाल में गिरफ्तार किए गए 25 वर्षीय मोहम्मद मुसीरुद्दीन ने राज्य में खास तौर पर वर्द्धमान, मुर्शिदाबाद और बीरभूम सहित बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में आतंकवादी समूह की मौजूदगी का खुलासा किया है.अधिकारी ने 2014 में खगरागढ में हुए विस्फोट का हवाला देते हुए बताया कि समूह ने शहर के कई हिस्सों में अपना शिकंजा फैलाया है, जो राज्य में इन आतंकवादी समूहों के ठिकानों की मौजूदगी का ठोस सबूत है. वर्द्धमान जिला आतंक के मानचित्र पर उस वक्त आया जब खगरागढ में एक किराए के मकान में विस्फोटक बनाने के दौरान दो संदिग्ध जेएमबी आतंकवादियों की मौत हो गई थी.हालांकि, एनआईए ने खगरागढ विस्फोट के संबंध में अपने पूरक आरोपपत्र में दावा किया था कि जेएमबी पश्चिम बंगाल के सीमाई जिलों से युवकों को भर्ती कर रहा है.

अधिकारी ने बताया, ‘‘आतंकी समूहों का मुख्य निशाना बेरोजगार युवक होते हैं. जेएमबी ऐसा कर रहा है और आईएसआईएस भी यही तरीका अपना रहा है और मुसीरुद्दीन से पूछताछ के दौरान एक बार फिर इस बात की पुष्टि हुई है, जो हाल में हुई ऐसी ही भर्ती का हिस्सा था।” उन्होंने बताया, ‘‘इनके आका हैं जो एक से दो जिलों का निरीक्षण करते हैं और 16-30 आयु वर्ग के शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवकों खासकर मुस्लिम समुदाय के युवकों पर नजर बनाए रखते हैं, जिनमें लडकियां भी शामिल हैं.”
अधिकारी ने इसी मार्च में एनआईए द्वारा दुर्गापुर से 19 वर्षीय एक छात्र की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए बताया, ‘‘पहली ही मुलाकात से उन्हें बरगलाना शुरु कर दिया जाता है जो इन युवकों को समूह में शामिल होने में मदद करता है और फिर यहां के बाद वे सीमाई जिलों में उनके प्रशिक्षण शिविरों की ओर रुख करते हैं.” फरवरी में उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किए गए अग्दुस सामी कासमी से पूछताछ के दौरान हुगली के धनियाखाली के रहने वाले आशिक अहमद उर्फ राजा का पता चला था.
आशिक के पैतृक घर से कुछ दस्तावेजों के जब्त करने वाले एनआईए के अधिकारी ने बताया कि शुरु में वे आशिक को पकडने से हिचक रहे थे क्योंकि वह एक किशोर था और उसका कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं था.अधिकारी ने बताया, ‘‘यह उनका एक अन्य तरीका है, जिसमें वे ऐसे युवकों को चुनते हैं जो थोडे बहुत पढे लिखे होते हैं और जिनका कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं होता.
इन युवकों से कहा जाता है कि उन्हें सीरिया जाकर युद्ध में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि वे अपनी मूल जगहों से ही अपने जिहाद की शुरुआत कर सकते हैं.” उन्होंने बताया कि ये आका फेसबुक, व्हाट्सऐप्प और सोशल मीडिया पर मौजूद अन्य मैसेंजर सेवाओं के जरिए सीरिया, इराक या बांग्लादेश में स्थित अपने नेताओं से संवाद करते हैं.अधिकारी ने बताया कि मुसीरुद्दीन के मोबाइल फोन से सीरिया, इराक और बांग्लादेश जैसे देशों के नंबरों से फोन आने और किए जाने का पता चला. इसके अलावा उन नेताओं से बातचीत के लिए ऐप्प का भी इस्तेमाल किया गया.

Next Article

Exit mobile version