आगामी आम चुनाव में मोदी की लहर में कांग्रेस काफी पिछड़ चुकी है. खासकर पश्चिम और मध्य भारत में. गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी.
लेकिन, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी/मध्य भारत में क्षेत्रीय पार्टियों को अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं, जिससे सरकार बनाने की चाबी उनके हाथों में होगी. सीएनएन-आइबीएन7 पर प्रसारित चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ‘अगर अभी चुनाव हों तो’ में कहा गया है कि गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की 335 लोकसभा सीटों में से भाजपा को 90 से 125 सीटें मिल सकती हैं. यहां छोटे और क्षेत्रीय दलों को 107-195 और कांग्रेस को 50-101 सीटें मिलती दिख रही हैं. यह दिखाता है कि उत्तर भारत में अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार होकर भाजपा क्लीन स्वीप कर रही है.
अनुमान के मुताबिक, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र (शिव सेना और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) की मदद से कांग्रेस की तुलना में काफी आगे है. कर्नाटक में भी भाजपा बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरेगी. लेकिन, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में उसे उतनी सफलता मिलती नहीं दिख रही. केरल में तो पार्टी उपस्थिति दर्ज कराती भी नहीं दिख रही. कर्नाटक और केरल को छोड़ दें, तो कांग्रेस कहीं भी बेहतर स्थिति में नहीं है. झारखंड और छत्तीसगढ़ में भाजपा को 40 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. आंध्रप्रदेश में वाइएसआर कांग्रेस सबसे अधिक 11-19 सीटें जीत सकती हैं, तो चंद्रबाबू नायडू की पार्टी नौ से 15 सीटें जीत सकती है.
कांग्रेस को पांच से नौ, तेलंगाना राष्ट्र समिति को चार से आठ और अन्य को चार सीटें मिल सकती हैं. तमिलनाडु में जयललिता की अन्नाद्रमुक सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है. उसे 15-23 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके को सात से 13, कांग्रेस को पांच और अन्य को 10 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. केरल में कांग्रेस नीत गंठबंधन को 20 में से 18 तक सीटें मिलने का अनुमान जताया