नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल द्वारा दायर मानहानि के एक मामले में वह मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और अन्य लोगों को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट दिये जाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर सकता है.
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केजरीवाल मानहानि मामला : रद्द हो सकता है हाईकोर्ट का फैसला
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल द्वारा दायर मानहानि के एक मामले में वह मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और अन्य लोगों को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट दिये जाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर सकता है. ए. के. सिकरी और एन. […]
ए. के. सिकरी और एन. वी. रमन्ना की एक पीठ ने कहा कि वह मामले को केजरीवाल और अन्य की एक याचिका पर गुण-दोष के आधार पर फैसला सुनाने के लिए वापस दिल्ली उच्च न्यायालय को भेज सकता है. याचिका में दिल्ली के मुख्यमंत्री और अन्य लोगों ने मामले से आरोपमुक्त करने की मांग की है. पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में जो कहा वह गलत प्रतीत हो रहा है. हम लोग फैसले को रद्द कर सकते हैं और गुण-दोष के आधार पर याचिका पर फैसला सुनाने के लिए इसे वापस भेज सकते हैं.” न्यायालय ने सुनवायी की अगली तारीख 22 जुलाई मुकरर्र की.
संक्षिप्त सुनवायी के दौरान केजरीवाल और अन्य लोगों की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने कहा कि मामले की सुनवायी किसी भी तरह उच्च न्यायालय को करना है क्योंकि नोटिस तय करने का समय पहले ही निचली अदालत में बीत चुका है.
अमित सिब्बल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल और अन्य लोग अब आरोपमुक्त किये जाने का मुद्दा उठाकर मामले की सुनवायी को विलंबित करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि करीब 24 महीने का समय बीत चुका है लेकिन उन लोगों ने गुण-दोष के आधार पर आरोपमुक्त किये जाने को लेकर उनकी याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं दी. पीठ ने इसके बाद कहा कि शिकायती मामले में आरोपमुक्त किये जाने का प्रश्न नहीं उठता और कहा कि अगर उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया जाता है तो उसका निहितार्थ क्या होगा.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में निचली अदालत से मानहानि मामले से आरोपमुक्त किये जाने की मांग को लेकर दायर की गयी केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, शाजिया इल्मी एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों की याचिकाओं पर विचार करने के लिए कहा था.
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