वीरभूम गैंगरेपः सभी 13 गिरफ्तार आरोपी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, हटाए गए एसपी

सूरी, दाजिर्लिंग: पश्चिम बंगाल के लाभपुर में एक आदिवासी युवती के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में 13 आरोपियों की हिरासत नहीं मांगे जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बीरभूम जिले के पुलिस अधीक्षक सी सुधाकर को हटा दिया. इस बीच घटना को लेकर काफी रोष जताए जाने के बीच मुख्यमंत्री ने सुधाकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2014 11:00 PM

सूरी, दाजिर्लिंग: पश्चिम बंगाल के लाभपुर में एक आदिवासी युवती के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में 13 आरोपियों की हिरासत नहीं मांगे जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बीरभूम जिले के पुलिस अधीक्षक सी सुधाकर को हटा दिया.

इस बीच घटना को लेकर काफी रोष जताए जाने के बीच मुख्यमंत्री ने सुधाकर को हटाने का आदेश दिया. ममता ने यह आदेश बोलपुर के एसडीजेएम पी घोष द्वारा 13 आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के कुछ ही घंटों बाद दिया.

बोलपुर के अनुमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसडीजेएम) पी घोष ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए उन्हें दो सप्ताह के लिए जेल भेज दिया. चौंकाने वाली इस घटना में 20 वर्षीय युवती का दूसरे समुदाय के एक व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध होने पर दंडित करने के लिए लाभपुर की खाप पंचायत ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार का आदेश दिया था. लाभपुर कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर है.

शीर्ष प्रशासनिक शीर्ष सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि यह मामला नये सिरे से लिया जायेगा ताकि पुलिस आरोपियों को पुलिस हिरासत में दिए जाने की मांग कर सके.ममता के पास गृह विभाग भी है. उन्होंने घटना की निंदा करते हुए दाजिर्लिंग के पुलिस अधीक्षक कुणाल अग्रवाल को बीरभूम के पुलिस अधीक्षक का पद संभालने का निर्देश दिया. इस घटना की निंदा करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम के नारायणन ने आरोपियों को शारीरिक दंड दिए जाने की वकालत की.

घटना पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर नारायणन ने संवाददाताओं से कहा ‘‘हमें उन्हें गिरफ्तार कर शारीरिक दंड देना चाहिए.’’ पीड़ित के परिवार ने अपनी शिकायत में कहा कि समुदाय के नेताओं की बैठक के बाद उसके साथ 13 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया. लाभपुर में 21 जनवरी को हुयी बैठक में नेताओं ने समुदाय से बाहर के व्यक्ति के साथ प्रेम करने पर दंडित करने का फैसला किया था. पीड़ित ने कहा कि जिन लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया, उनमें से कई उसके पिता की उम्र के थे.

पीड़ित और उसके प्रेमी को पकड़ लिया गया और उन्हें एक पेड़ से बांध कर उनके साथ दुर्व्यवहार किया. इसके बाद उन्हें 50 हजार रुपए का जुर्माना देने को कहा गया. युवती ने कहा कि वह पैसे का भुगतान करने में समर्थ नहीं है. इसके बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. पीड़ित ने कहा कि ग्राम प्रधान के आदेश के बाद कम से कम 13 लोगों ने उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया. उनमें से कुछ सदस्य एक ही परिवार के थे.

युवती को जिस अस्पताल में भर्ती कराया गया है, उस अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि उसका कुछ परीक्षण किया गया है और अब उसकी हालत स्थिर है. महिला एवं बाल कल्याण मंत्री शशि पांजा ने पीड़िता से फोन पर बातचीत की और कहा कि सभी मेडिकल परीक्षण किए गए हैं. दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने राज्य सरकार से दोषियों को सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित करने को कहा.

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में जहां कानून का शासन है, वहां किसी को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती. पश्चिम बंगाल सरकार को आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए और सख्त सजा सुनिश्चित करनी चाहिए. पश्चिम बंगाल महिला आयोग की अध्यक्ष सुनंदा गोस्वामी ने कहा कि आयोग कल घटना की जांच का आदेश देगा. जिला अधीक्षक से मामले की जांच करने और 10 दिन के भीतर आयोग को रिपोर्ट सौंपने को कहा जाएगा.

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय ने कहा, ‘‘ सरकार दृढ़ है और वह इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के पक्ष में है. सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और जांच चल रही है.’’ तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘बीरभूम में खाप के आदेश पर एक आदिवासी लड़की से सामूहिक दुष्कर्म की खौफनाक खबर पढ़ी. 10 ‘हैवानों’ को तत्काल पकड़ लिया गया. सामाजिक बीमारी-बदलाव आवश्यक है. ’’

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ वह नृशंस, भीषण और हैवानियत भरा है. बंगाल में इस तरह की घटना अप्रत्याशित है.’’उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुयी है क्योंकि ऐसी घटनाओं की खबर मिलने पर पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है और अपराधी सजा से बच रहे हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हम 16वीं सदी में लौट रहे हैं. यह खौफनाक और बिल्कुल अस्वीकार्य है. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए.’’ इस घटना की कई बुद्धिजीवियों ने भी निंदा की और इस यह बर्बर और असभ्य बताया. ऐसे में लोगों में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि शंख घोष, पेंटर जोगेन चौधरी शामिल हैं.

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