नयी दिल्ली: नबाम तुकी ने दिल्ली में ही अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार बुधवार को संभाल लिया है. वह राष्ट्रीय राजधानी में ही डेरा डाले हुए हैं. इस बाबत उन्होंने कि अरुणाचल भवन में ही मैंने कामकाज संभाल लिया है. इससे पहले कल सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश विधानसभा सत्र को एक महीने पहले बुलाने के राज्यपाल के निर्णय को असंवैधानिक बताते हुए इसे खारिज कर दिया और प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के आदेश दिये. सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश ने नाबाम तुकी के नेतृत्ववाली बरखास्त कांग्रेस सरकार की सत्ता में वापसी का रास्ता साफ कर दिया.
न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अगुआईवाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से दिये गये अपने फैसले में कहा कि अरूणाचल विधानसभा में 15 दिसंबर, 2015 की यथास्थिति कायम रखी जाये. इस पीठ में न्यायमूर्ति खेहर के अलावा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति एनवी रमन शामिल हैं. शीर्ष अदालत का यह फैसला जहां केंद्र सरकार व भाजपा के लिए झटका है, वहीं कांग्रेस के लिए उत्साहजनक. वजह यह कि उत्तराखंड के बाद अरूणाचल ऐसा दूसरा राज्य है, जहां कोर्ट ने पिछले दो महीनों में कांग्रेस नीत सरकार को बहाल किया है.
यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम घड़ी की सुइयां वापस कर सकते हैं.
21 विधायकों के बगावत के बाद यह सब
कांग्रेस के 47 में से 21 विधायकों द्वारा तुकी के खिलाफ बगावत करने के बाद मचे उथल-पुथल के पश्चात नाबाम तुकी नीत सरकार को बरखास्त कर दिया गया था. राज्य में 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष 20 फरवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इससे कुछ पहले ही कांग्रेस के बागी नेता कालिखो पुल ने 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 18 असंतुष्ट विधायकों, दो निर्दलीय के समर्थन और भाजपा के 11 विधायकों के बाहरी समर्थन के साथ अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
कोर्ट ने गिनायीं गलतियां
पहली, न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि विधानसभा का सत्र 14 जनवरी, 2016 से एक महीने पूर्व 16 दिसंबर, 2015 को बुलाने संबंधी राज्यपाल का नौ दिसंबर, 2015 का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 163 (अनुच्छेद 174 के साथ पढ़ा जाये)का उल्लंघन है.
दूसरी, 16 से 18 दिसंबर, 2015 को होनेवाले प्रदेश विधानसभा के छठे सत्र की कार्यवाही के तरीके के बारे में निर्देश देना वाला राज्यपाल का संदेश संविधान के अनुच्छेद 163 (अनुच्छेद 175 के साथ पढ़ा जाये) का उल्लंघन है.
तीसरी, राज्यपाल के नौ दिसंबर, 2015 के आदेश की अनुपालन में प्रदेश विधानसभा द्वारा उठाये गये सभी कदम व निर्णय बरकरार रखने योग्य नहीं है और दरकिनार करने लायक हैं.
न्यायमूर्ति मिश्रा व न्यायमूर्ति लोकुर ने अलग से निर्णय पढ़ते हुए कहा कि वह न्यायमूर्ति खेहर के विचार से असहमत नहीं हैं. न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल का व्यवहार केवल निष्पक्ष ही नहीं होना चाहिए, बल्कि यह स्पष्ट रूप से निष्पक्ष प्रतीत भी होना चाहिए.
कोर्ट की खरी-खरी
राज्य सरकारों को गिराने के लिए यह प्रयोग घातक हो सकता है. कोर्ट को अधिकार है कि वक्त को पीछे ले जाये.
संवैधानिक अधिकारों का तभी उपयोग किया जा सकता है, जब वह सिर्फ संवैधानिक सिद्धांतों पर आधारित हो.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि मुझे न्यायपालिका में पूरा भरोसा है. मैं कानूनी प्रावधानों के अनुरूप काम करूंगा. यह संविधान और लोगों की जीत है.
सरकार करेगी फैसले का अध्ययन
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा कि हमें अभी आदेश मिलना बाकी है. हम उसका विस्तार से अध्ययन करेंगे और फिर व्यवस्थित जवाब देंगे. हम इस आदेश का व्यवस्थित परीक्षण करेंगे. इस पर विस्तार से गौर करने की जरूरत है. केंद्र की आलोचना करने पर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए प्रसाद ने कहा कि उन्हें उससे लोकतंत्र पर उपदेश सुन कर हंसी आती है.
लोकतंत्र का उल्लंघन करनेवालों की हार : सोनिया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह फैसला, जो हमारे संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को ठोस तरीके से स्थापित करता है, केंद्र सरकार को भविष्य में सत्ता के दुरूपयोग से रोकेगा. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लोकतंत्र का मतलब समझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया.
अरुणाचल प्रदेश के सीएम कलिखो पुल ने कहा कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. सदन के पटल पर तय होगा कि हम रहेंगे या नहीं. सरकार बस संख्याबल से चलती है. यह भी कहा कि मैं पुनरीक्षण याचिका दायर करूंगा.