प्रशांत किशोर ने बिछायी बिसात- क्या बिहार की सफलता यूपी में दोहरा पायेंगे पीके ?
नयी दिल्ली : अपनी चुनावी मैनेजमैंट से विरोधी पार्टियों में हाहाकार मचाने वाले प्रशांत किशोर, बिहार में नीतीश को जीत दिलाने के बाद कांग्रेस की ओर से यूपी के चुनावी मैदान में हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और लगातार कई विधानसभा चुनाव में राजनीतिक जमीन खोने के बाद कांग्रेस के नेता व […]
नयी दिल्ली : अपनी चुनावी मैनेजमैंट से विरोधी पार्टियों में हाहाकार मचाने वाले प्रशांत किशोर, बिहार में नीतीश को जीत दिलाने के बाद कांग्रेस की ओर से यूपी के चुनावी मैदान में हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और लगातार कई विधानसभा चुनाव में राजनीतिक जमीन खोने के बाद कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता दोनों निराश हो चुके थे लेकिन जिस तरह से प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनायी है, यह आगामी चुनाव में पार्टी के लिए प्राणवायु का काम करेगी.
शीला दीक्षित के सीएम उम्मीदवार घोषणा के बाद एक बात साफ हो चुकी है कि कांग्रेस अब बैकफुट में रहकर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. शीला दीक्षित के रूप में कांग्रेस पार्टी ने यूपी की चुनाव में ब्राहम्ण चेहरा पेश किया है. उत्तर प्रदेश में ब्राहम्ण जाति की वोट बेहद निर्णायक माना जाता रहा है.
राजब्बर अध्यक्ष व शीला सीएम क्या है रणनीति ?
शीला दीक्षित की गिनती देश के कद्दावार राजनेता के रूप में रही है. तीन बार दिल्ली की सीएम रह चुकीं शीला दीक्षित एक अच्छी प्रशासक मानी जाती हैं. बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने दिल्ली का कायापलट करने का काम किया. उधर राजब्बर को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. राजब्बर भी मशहूर अभिनेता रह चुके हैं. एक तरह से राज्य में मृत पड़ी कांग्रेस पार्टी को नवजीवन मिलने की संभावना है.
प्रचार समिती में ठाकुर, दलित व मुसलिम नेताओं को जगह
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में डॉ संजय सिंह को यूपी कांग्रेस प्रचार समिति की कमान सौंपी है. संजय सिंह ठाकुर जाति से आते हैं. यूपी चुनाव में ठाकुर की संख्या हमेशा से राजनीति को प्रभावित करते आयी है. अन्य ठाकुर नेताओं में आर पी एन सिंह शामिल है.
ब्राहम्णों के अलावा पार्टी की नजर अल्पसंख्यक वोटों पर भी है. जफर अली नकवी को संयोजक बनाया गया है. लिहाजा प्रशांत किशोर की नजर मुसलिम वोटों पर भी है.
बिहार की कामयाबी दोहरा पायेंगे पीके
प्रशांत किशोर ने बिहार में दो ध्रुव के नेता लालू और नीतीश के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और ऐतिहासिक जीत दिलवायी. चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि बैकफुट पर पहुंचे नीतीश की फिर से सत्ता में वापसी होगी. प्रशांत किशोर ने लालू व नीतीश के इमेज को टकराने नहीं दिया. चुनाव प्रचार के दौरान लालू ने चुप्पी साधे रखी. वहीं नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी के हमलों का जवाब दिया . पीके की यह रणनीति नीतीश और लालू दोनों के अलग-अलग वोट बैंकों को जोड़ने में कामयाब रही.