12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

NEET पर शीर्ष अदालत ने कहा, छात्र हमारे बच्चे हैं, अध्यादेश पर रोक से किया इंकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के मन में आज लाखों भावी मेडिकल छात्रों का हित भारी पड़ गया जब शीर्ष अदालत ने 2016-17 के लिए राष्ट्रीय योग्यता एवं प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के अलावा राज्यों को अपनी अलग अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति देने वाले अध्यादेश पर रोक से इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के मन में आज लाखों भावी मेडिकल छात्रों का हित भारी पड़ गया जब शीर्ष अदालत ने 2016-17 के लिए राष्ट्रीय योग्यता एवं प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के अलावा राज्यों को अपनी अलग अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति देने वाले अध्यादेश पर रोक से इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इनमें से आधे राज्य पहले ही ये परीक्षाएं आयोजित कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की इस बात पर कड़ी प्रतिक्रिया दी कि उसे अध्यादेश को अपने ‘‘अहम” पर नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह उन छात्रों के कल्याण से जुड़ा है जिन्होंने विभिन्न राज्य मेडिकल परीक्षाओं के लिए महीनों तैयारी की है.

पीठ ने कहा, ‘‘जिन राज्यों ने अध्यादेश से पहले और हमारे आदेश के बाद परीक्षाएं आयोजित कीं वह स्पष्ट रुप से गलत है. इससे पूरी तरह से अव्यवस्था होगी. छात्रों का भविष्य दांव पर है और उनके हितों को ध्यान में रखने की जरुरत है. वे हमारे बच्चे हैं.” इस पीठ में न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह भी शामिल थे.

अध्यादेश पर ‘‘संदेह” पैदा करते हुए पीठ ने कहा कि वह इस पर इसलिए रोक नहीं लगा रही है क्योंकि ‘‘लाखों छात्रों का हित जुड़ा हुआ है” और इस समय किसी भी तरह का हस्तक्षेप ‘‘अव्यवस्था” पैदा करेगा क्योंकि 50 प्रतिशत से अधिक राज्य अलग अलग परीक्षाएं आयोजित कर चुके हैं.

पीठ ने इस मामले में जल्द सुनवाई पर सहमति जताते हुए कहा, ‘‘हमारे आदेश के बावजूद राज्यों को अपनी परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति वाला अध्यादेश लाना सरकार के लिए उचित नहीं है और यह परेशान करने वाला है… पहली नजर में, हमें लगता है कि अध्यादेश की वैधता संदेह में है.”

पीठ ने विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के सफल उम्मीदवारों की केंद्रीयकृत काउंसलिंग का अनुरोध भी खारिज कर दिया और कहा, ‘‘50 प्रतिशत राज्य अपनी परीक्षाएं आयोजित करा चुके हैं.” रोहतगी ने अध्यादेश को चुनौती का विरोध करते हुए कहा कि इसमें ‘‘कुल भी गलत नहीं” है और सरकार के पास इसे लाने की ‘‘पूरी शक्ति” है. उन्होंने कहा कि जब तक शीर्ष अदालत ने नौ मई को अपना आदेश दिया, कुछ राज्य मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कर चुके थे.

एनजीओ ‘संकल्प’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण ने अध्यादेश खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेश का ‘‘उल्लंघन” है. रोहतगी ने हालांकि शरण की दलीलों का विरोध किया और कहा कि इस मामले में फैसला अभी पारित नहीं हुआ है और शीर्ष अदालत ने केवल अंतरिम आदेश दिये हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें