मसले सुलझाने के लिए सिंधु जल संधि के प्रावधानों का इस्तेमाल करे पाकिस्तान: भारत
नयी दिल्ली : भारत ने आज कहा कि वह उम्मीद कर रहा है कि पाकिस्तान द्विपक्षीय सिंधु जल संधि के प्रावधानों का इस्तेमाल कर पनबिजली परियोजनाओं से जुडे आपसी चिंता के मामलों को सुलझाएगा और किसी तीसरे मंच की शरण लेकर इसका उल्लंघन नहीं करेगा. जल एवं बिजली सचिव की अगुवाई में हाल ही में […]
नयी दिल्ली : भारत ने आज कहा कि वह उम्मीद कर रहा है कि पाकिस्तान द्विपक्षीय सिंधु जल संधि के प्रावधानों का इस्तेमाल कर पनबिजली परियोजनाओं से जुडे आपसी चिंता के मामलों को सुलझाएगा और किसी तीसरे मंच की शरण लेकर इसका उल्लंघन नहीं करेगा.
जल एवं बिजली सचिव की अगुवाई में हाल ही में एक पाकिस्तानी टीम की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा कि दो पनबिजली परियोजनाओं से जुडे आपसी चिंता के मामलों को दोस्ताना तरीके से सुलझाने के लिए सिंधु जल संधि के प्रावधानों का इस्तेमाल करने की कोशिश किए बगैर पाकिस्तान द्वारा एक तीसरे मंच की शरण लेने का मुद्दा भारत द्वारा उठाने पर पाकिस्तानी टीम भारत आई थी. वे दोनों परियोजनाएं किशनगंगा (झेलम की सहायक नदी पर 330 मेगावाट की परियोजना) और रातले (चेनाब नदी पर 850 मेगावाट की परियोजना) हैं.
विकास ने कहा, ‘‘वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सरकारी स्तर पर अपने विचार रखे. हमें उम्मीद है कि पाकिस्तानी पक्ष को आगे के रास्ते पर हमारे सुझावों में तर्क नजर आएगा.” भारत और पाकिस्तान की बैठक ऐसे समय में हुई है जब ये खबरें आई थीं कि पाकिस्तान ने भारत द्वारा ‘‘आपत्तिजनक” डिजाइन पर किशनगंगा और रतलेे पनबिजली परियोजनाएं निर्मित करने के खिलाफ मध्यस्थता अदालत :सीओए: का रुख करने का फैसला किया है. पाकिस्तान ने भारत पर सिंधु जल संधि, 1960 के उल्लंघन का आरोप लगाया था. खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान को डर है कि यदि परियोजनाएं पूरी हो गईं तो उनसे पाकिस्तान में जल प्रवाह प्रभावित होगा.