तो इस मजबूरी के कारण पाकिस्तान ने बुरहान वानी को दिया ”शहीद” का दर्जा
जम्मू: कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी का प्रभाव आज भी घाटी में देखने को मिल रहा है. आज लगातार 9वें दिन भी कुछ हिस्सों में कर्फ्यू जारी है. इधर खबर है कि पाकिस्तान ने भारी दबाव में आकर आतंकी बुरहान को ‘शहीद’ का दर्जा दिया था. […]
जम्मू: कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी का प्रभाव आज भी घाटी में देखने को मिल रहा है. आज लगातार 9वें दिन भी कुछ हिस्सों में कर्फ्यू जारी है. इधर खबर है कि पाकिस्तान ने भारी दबाव में आकर आतंकी बुरहान को ‘शहीद’ का दर्जा दिया था. पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव रियाज हुसैन खोखर ने चीन की राजधानी बीजिंग में इस बात का खुलासा किया है. इस संबध में आज अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर छपी है जिसके मुताबिक खोखर ने शनिवार को कहा कि कश्मीर घाटी में मारे गए आतंकी की याद में 19 जुलाई को काला दिवस मनाने से जुड़े पाकिस्तान के फैसले के पीछे भी दबाव की राजनीति ही काम कर रही थी.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस घटना पर हमारी प्रतिक्रिया शुरूआत में सधी हुई थी. वहीं बाद में पाकिस्तान की मीडिया और लोगों के दबाव को देखते हुए सरकार को अपने रुख में बदलाव लाना पड़ा. मामले से लोगों का इमोशनल अटैचमेंट होने लगा था. खोखर ने कहा कि हमें हालात को हाथ से बाहर कतई नहीं जाने देना होगा. वैसे यह सारा कुछ भारत के रुख पर निर्भर करता है. भारत मामले से कैसे निपटता है यह देखना महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान भारत के इस हालात में ज्यादा दखल नहीं देना चाहता है, लेकिन हमारे पास मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष ले जाने की बाध्यता है.
खोखर ने मामले को इमोशनल टच देने की कोशिश की और कहा कि पाकिस्तान की तरफ का हर कश्मीरी बुरहान वानी को शहीद का दर्जा देता है. आपको बता दें कि भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान हिजबुल कमांडर बुरहान वानी मारा गया था. कश्मीर के पढ़े-लिखे नौजवानों को वह कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकी गतिविधियों से जोड़ने और समर्थन जुटाने का काम करता था.