वीरभद्र के बच्चों के खिलाफ कार्यवाही पर स्थगन हटाया जाए : ईडी

नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दो बच्चों के खिलाफ मनी लाड्रिंग के एक मामले में कार्यवाही पर लगाए अपने स्थगन आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय से हटाने का आज अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में ईडी ने यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2016 7:43 PM

नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दो बच्चों के खिलाफ मनी लाड्रिंग के एक मामले में कार्यवाही पर लगाए अपने स्थगन आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय से हटाने का आज अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में ईडी ने यह अनुरोध किया. ईडी ने कहा कि उनके द्वारा की गई कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे में है.

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल संजय जैन ने अपने हलफनामे में दावा किया, ‘‘उन्होंने सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर कानून के मुताबिक (डी) प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट ( ईसीआईआर) दर्ज की. याचिकाकर्ताओं (वीरभद्र सिंह के दो बच्चों) के नाम प्राथमिकी में नहीं थे और इसलिए ईसीआईआर में जिक्र नहीं किया गया .”

जांच एजेंसी ने दलील दी कि उनकी सारी कार्रवाई और जांच कानून के मुताबिक है और पीएमएलए द्वारा निर्धारित नियम कायदों के मुताबिक रही है. गौरतलब है कि 26 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने कहा था कि मनी लांड्रिंग के एक मामले में सिंह के दो बच्चों की संपत्ति कुर्क करने का ईडी का अस्थायी आदेश जारी रहेगा लेकिन उनके खिलाफ इसके बाद की सभी कार्रवाई स्थगित रहेगी. अंतरिम आदेश वीरभद्र की बेटी अपराजिता कुमारी और बेटे विक्रमादित्य सिंह की एक याचिका पर आया था.
उन्होंने ईडी द्वारा जारी किए गए 23 मार्च के अस्थायी कुर्की आदेश के खिलाफ यह कदम उठाया था. हालांकि, अदालत ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ कुर्की कार्यवाहियों पर स्थगन से इनकार कर दिया लेकिन कहा कि संबद्ध प्राधिकार का आखिरी आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि अस्थायी कुर्की को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं.
सभी चारों याचिकाकर्ताओं ने हाल ही में संशोधित किए गए पीएमएलए की धारा 5 (1) के दूसरे प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा कि यह अंसवैधानिक है क्योंकि यह अधिनियम की व्यवस्था का विरोधाभासी है और संविधान का उल्लंघन करता है. गौरतलब है कि पीएमएलए की धारा 5 (1) का दूसरा प्रावधान यह जिक्र करता है कि किसी व्यक्ति की कोई भी संपत्ति जब्त की जा सकती है बशर्ते संबद्ध ईडी के अधिकारी को अपने पास उपलब्ध चीजों के आधार पर यह मानने की वजह हो कि मनी लांड्रिंग में कथित तौर पर शामिल रही ऐसी संपत्तियों की फौरन कुर्की नहीं की जाती है तो इससे अधिनियम के तहत कोई भी कार्यवाही में समस्या आने की संभावना है.

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