क्या ‘27 साल यूपी बेहाल” के नारे के साथ ‘पुनर्जीवन” की ओर बढ़ चली है कांग्रेस?
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले वर्ष होना है, पर उसके लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दी है.भले कांग्रेस को यूपी में चौथे नंबर की पार्टी कहाजाता हो, लेकिन अपनी चुनाव प्रचार शैली से वहस्वयं को पहले नंबर पर साबित करनेकीकोशिश में है. इसी क्रम में कांग्रेस […]
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले वर्ष होना है, पर उसके लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दी है.भले कांग्रेस को यूपी में चौथे नंबर की पार्टी कहाजाता हो, लेकिन अपनी चुनाव प्रचार शैली से वहस्वयं को पहले नंबर पर साबित करनेकीकोशिश में है. इसी क्रम में कांग्रेस के एक अहम अभियान की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां पार्टी मुख्यालय से तीन दिवसीय बस यात्रा ‘27 साल यूपी बेहाल’ को झंडा दिखाकर रवाना किया. सूत्रों की मानें तो इस यात्रा पर कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की खास नजर है. उन्होंने इस यात्रा के हर पड़ाव पर विशेष रणनीति बनायी है और रथ पर कांग्रेस के दो तुरूप के पत्ते सवार हैं : शीला दीक्षित और गुलाम नबी आजाद. गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के संकटमोचक व सबसे सफल पॉलिटिकल मैनेजर हैं, तो शीला दीक्षित ने दिल्ली में शासनकाबेहतरीनमॉडल पेश कियाऔर अपरायेज सरीखी हो गयीं, जिन्हें सिर्फ केजरीवाल के जनआंदोलन से उपजी राजनीति ही जीत पायी.
600 किमी की यात्रा और कांग्रेस का प्रचार अभियान
कांग्रेसकीइस रथ यात्रा में कांग्रेस के दिग्गज नेता सवार हैं. यात्रा का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाना और उत्तर प्रदेश में कांग्रेसके सत्ता से बाहर होने के बाद बनी सरकारों की पिछले 27 साल की कथित नाकामी को रेखांकित करना है. यह यात्रा कुल 600 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. शीर्ष कांग्रेस नेता और राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद, प्रदेश में पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा शीला दीक्षित और प्रदेश इकाई के प्रमुख राज बब्बर अन्य नेताओं के साथ इस बस में यात्रा करेंगे जो कानपुर पहुंचने के दौरान रास्ते में विभिन्न स्थानों पर रुकेगी.
कई संभाओं को संबोधित करेंगे नेता
कांग्रेस के यह नेता रास्ते में कई जनसभाओं को संबोधित करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे. यात्रा एक दिन में चार जिलों से गुजरेगी और पहले दिन मुरादाबाद में रुकेगी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों से होती हुई जाएगी. पार्टी की यह बस यात्रा रामपुर और बरेली होते हुए शाहजहांपुर जाएगी और तीसरे दिन यह हरदोई, कन्नौज और फिर कानपुर जाएगी.
क्या है पार्टी का लक्ष्य?
आजाद ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य उत्तर प्रदेश में सरकार गठन करने पर रहेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करने की बजाय उन्हें एक करने में भरोसा करती है. आजाद ने कहा कि इस यात्रा के जरिए हम लोगों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का एकता का संदेश देंगे. अन्य पार्टियों की तरह हम लोगों को मजहब और समुदाय के नाम पर बांटना नहीं चाहते.
29 जुलाई को राहुल गांधी भी होंगे मौजूद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता की भी जिम्मेवारी संभाल रहे गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘‘ कांग्रेस को सत्ता से बाहर हुए 27 साल हो गए हैं और इस अवधि में भाजपा, बसपा और सपा ने प्रदेश पर शासन किया और लोगों को समुदाय और मजहब के नाम पर बांटा. लेकिन हम सब लोगों को एक करने की कोशिश करके सरकार बनाएंगे जो किसी एक खास समुदाय को तवज्जो नहीं देगी. ‘ यात्रा के बाद लखनऊ में 29 जुलाई कोउत्तरप्रदेश कांग्रेस की एक बैठक होगी जिसमें राहुल गांधी शिरकत करेंगे.
27 वर्षों केकथित कुशासन पर नजर
उत्तर प्रदेश में पार्टी की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा ‘‘यात्रा पिछले 27 वर्षों की सरकारों के कुशासन पर प्रकाश डालेगी. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस तरह से अभियान चलांएगे की हम कम से कम तीन-चार बार हर मतदाता तक पहुंच सकें. ‘ इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए बब्बर ने कहा कि वे इस यात्रा के जरिए एकता का संदेश ले जा रहे हैं.
आजाद-शीला की जोड़ी बराबर आजाद-मीरा कुमार की जोड़ी?
उत्तरप्रदेश जिस तरह इस बार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है, उससे जेहन में एक सवाल उठता है कि क्या गुलाम नबी आजाद व शीला दीक्षित की जोड़ी यूपी में बिहार में 2015 में गुलाम नबी आजाद व मीरा कुमार की जोड़ी की सफलता को दोहरा सकेगी? याद कीजिए सोनिया-राहुल के अलावा पिछले साल हुए बिहार चुनाव में आजाद व मीरा कुमार ही कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे, जिनके धुआंधार प्रचार के कारण पार्टी राज्य में महज 27 सीटों पर लड़ने के बावजूद 25 सीटें जीत ली थी. अब समय का इंतजार कीजिए, परिणाम के लिए.