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भगवंत मान की सदस्यता रहेगी या जायेगी, फैसला करेगी नौ सदस्यीय जांच टीम

आम आदमी पार्टी सांसद भगवंत मान द्वारा संसद भवन परिसर के संबंध में बनाए गए विवादास्पद वीडियो मामले की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज नौ सदस्यीय एक समिति का गठन करने का ऐलान किया जो तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देगी. आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होते ही अध्यक्ष ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2016 11:45 AM

आम आदमी पार्टी सांसद भगवंत मान द्वारा संसद भवन परिसर के संबंध में बनाए गए विवादास्पद वीडियो मामले की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज नौ सदस्यीय एक समिति का गठन करने का ऐलान किया जो तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देगी. आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होते ही अध्यक्ष ने भाजपा सदस्य किरीट सोमैया की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का गठन किए जाने की घोषणा की. अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की वीडियोग्राफी करने और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने को एक गंभीर मामला बताया. महाजन ने निर्देश दिया कि भगवंत मान इस मामले में कोई फैसला होने तक सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लें.उन्होंने कहा कि इस समिति को इस मामले के साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उचित उपचारात्मक उपाय सुझाने को कहा गया है. अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में आप सदस्य भगवंत मान को भी 26 जुलाई को सुबह साढ़े दस बजे तक जांच समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा जाता है.समिति के अध्यक्ष किरीट सोमैया होंगे, अन्य सदस्यों में आनंदराव अडसूल, भृतुहरि मेहताब, रत्ना डे, थोटा नरसिम्हन, के सी वेणुगोपाल और पी वेणुगोपाल भी शामिल हैं.

भगवंत मान को आसानी से नहीं मिलेगी माफी

यद्यपि भगवंत मान ने संसद का वीडियो बनाने के मामले में माफी मांग ली है, लेकिन स्पीकर ने नौ सदस्यीय जांच समिति बनाकर यह साबित कर दिया है कि उन्हें आसानी से माफी नहीं मिलेगी. अबतक स्पीकर का जो रवैया दिखा है उससे यही लगता है कि सरकार उन्हें गंभीर चेतावनी देना चाहती है. अब तीन अगस्त के बाद ही उनके भविष्य का फैसला होगा.

क्या जा सकती है मान की सदस्यता

भगवंत मान का अपराध गंभीर तो है लेकिन उनके खिलाफ किस तरह की कार्रवाई होगी, इसपर अभी कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है. समिति तीन अगस्त को रिपोर्ट सौंपेगी उसके बाद ही यह तय हो पायेगा. बहुत संभव है कि उन्हें कुछ दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाये. अगर उनकी सदस्यता रद्द की जाती है तो यह ऐतिहासिक फैसला होगा.

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