कोयला घोटाला : आरएसपीएल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रखा धोखे में
नयी दिल्ली : कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई में आज राठी स्टील एंड पावर लि. (आरएसपीएल) तथा उसके तीन अधिकारियों को दोषी करार देते हुए एक विशेष अदालत ने कहा कि कंपनी ने सरकार और यहां तक की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी तथ्यों की गलत जानकारी देकर ‘धोखा’ दिया. […]
नयी दिल्ली : कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई में आज राठी स्टील एंड पावर लि. (आरएसपीएल) तथा उसके तीन अधिकारियों को दोषी करार देते हुए एक विशेष अदालत ने कहा कि कंपनी ने सरकार और यहां तक की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी तथ्यों की गलत जानकारी देकर ‘धोखा’ दिया.
अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरएसपीएल तथा उसके तीन अधिकारियों ने कोयला ब्लाक आवंटन को अपने पक्ष में करने के लिए साजिश रची और कोयला मंत्रालय को भी धोखे में रखा. उसने जमीन के मुद्दे पर गलत जानकारी दी तथा अंतिम इस्तेमाल की परियोजना की प्रगति को बढ़ाचढ़ाकर बताया.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने अपने 107 पृष्ठ के निर्णय में कहा, ‘‘यह गलत तथ्य तब तक रपट में बने रहे जब इस पर जांच समिति की सिफारिशें किए जाने के बाद इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री (सिंह) के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया. उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार उनके पास था. इसलिए यह देखा गया कि भारत सरकार ने आरएसपीएल के पक्ष में कोयला ब्लॉक का आवंटन किया क्योंकि उसने सामने रखे गए तथ्यों को सच मानकर उन पर विश्वास किया जो कि हकीकत में सही नहीं थे.”
अदालत ने कंपनी तथा उसके अधिकारियों….प्रबंध निदेशक प्रदीप राठी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी उदित राठी तथा सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) कुशल अग्रवाल….को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) तथा 120-बी (आपराधिक साजिश) समेत विभिन्न धाराओं की तहत दोषी ठहराया. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं आप सभी को दोषी करार दे रहा हूं.” उन्होंने दोषियों को हिरासत में लेने का आदेश भी दिया.
अधिकारियों को दोषी करार देने के बाद अदालत ने आरोपियों को सजा के बारे में दलीलें सुनीं. सीबाआई ने जहां आरोपियों को अधिकतम सजा की मांग की, वहीं आरोपियों ने रहम की अपील की. अदालत ने आरोपी अधिकारियों को हिरासत में लिया है. अब अदालत दोषियों को सजा पर अपना फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रखा है.