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लोकसभा में राहुल के महंगाई वाले सवाल पर जेटली ने दिया जवाब

नयी दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज लोकसभा में महंगाई पर सवाल खड़े किये. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका जवाब दिया. उन्होंने एक के बाद एक कई सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में महंगाई की दर में काफी कमी आयी है. थोक […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज लोकसभा में महंगाई पर सवाल खड़े किये. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका जवाब दिया. उन्होंने एक के बाद एक कई सवालों का जवाब दिया.

उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में महंगाई की दर में काफी कमी आयी है. थोक महंगाई दर भी कम हुआ है.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, यह बरसात का वक्त है इस वक्त कई चीजों के दाम बढ़ते हैं यह एक सिजनल राइज है. कई चीजों के दाम बढ़े चीनी मिल बंद हो रहे थे किसान परेशान थे.

हमने गन्ना किसानों का बकाया उन्हें दिया है कई लोग अभी भी बाकि है. दालों की बढ़ती कीमत एक चिंता का विषय है. भारत में सबसे ज्यादा दाल पैदा होती है, खपत भी सबसे ज्यादा है और सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी हम ही करते हैं. हमें 23 मिलियन टन दाल की जरूरत पड़ती है पैदावार सिर्फ 17 टन हुई बाकि हमने दूसरे देशों से आयात किया.
यह समस्या इसलिए भी बढ़ गयी क्योंकि पिछले दो सालों में दुनिया में भी दाल की पैदावार कम हुई है. राहत की बात यह है कि इस बार दाल की पैदावार में सुधार हुआ है. अरुण जेटली ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, उन्होंने सवाल खड़ा किया कि दाल बाहर से आयात कीजिए और तब भी अगर इसकी कीमत पर लगाम ना लगे तो भ्रष्टाचार है. आर्थिक स्तर पर ऐसे उदाहरण में पहली बार सुन रहा हूं. दाल की कीमत और इसके आयात डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करते हैं.
कीमतों पर नियंत्रण रखा
कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था और दोहरे अंकों वाली मुद्रास्फीति दर विरासत में मिलने के बावजूद हमनें कीमतों को नियंत्रण में रखा और इस बारे में आरोप, आंकडों का विकल्प नहीं हो सकते. जेटली ने कहा कि इस साल अच्छी बरसात होने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और कीमतें और नियंत्रण में आयेंगी. दाल की पैदावार 2 करोड टन होने के संकेत से इसकी कीमतों में भी कमी आयेगी. उन्होंने कहा कि केवल यह कहना कि तारीख बता दें कि कीमत कब कम होगी.. यह ठीक नहीं है. हमें वे नीतियां बनानी होंगी जिससे पैदावार बढे। हमने ऐसी नीतियां बनाई हैं जिनसे किसान दाल का उत्पादन बढाने के लिए प्रोत्साहित होंगे ताकि मांग और आपूर्ति की समस्या को दूर किया जा सकेगा और कीमतें कम कम होंगी.
वैश्विक मंदी के बावजूद आगे बढ़े
लोकसभा में मूल्यवृद्धि के बारे में नियम 193 के तहत चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था मिलने और वैश्विक मंदी की स्थिति के बाद भी पिछले दो वर्षो में हम तेज गति से आगे बढे हैं. दुनिया की तुलना में अच्छा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरे दुनिया में मंदी छायी हुई थी, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति ठीक नहीं थी, भारत के बारे में नकारात्मक धारणा बनी हुई थी, बडे बडे विश्लेषक यह कह रहे थे कि ब्रिक्स में से आई (इंडिया) निकल जायेगा. ऐसे हालात में हमने सत्ता संभाली और इस सब के बावजूद भारत अच्छी वृद्धि दर बनाये रखकर दुनिया की सबसे तेज गति से बढने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है.
आंकडों और नारों में अंतर होता है
वित्त मंत्री ने कहा कि हमें विरासत में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति दर मिली थी लेकिन इसके बावजूद हमारे वृहद आर्थिक संकेतक अच्छी स्थिति में हैं. हमारी सरकार बनने के बाद से मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति रिणात्मक रही है. जेटली ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के शासनकाल के अंतिम दो वर्षों में मुद्रास्फीति की दर 10 से 12 प्रतिशत के बीच थी. इसलिए यह समझने की जरुरत है कि आंकडों और नारों में अंतर होता है. मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षो में मानसून खराब रहा और 12 से 14 प्रतिशत तक कम बारिश हुई। ग्रामीण क्षेत्र और कृषि कमजोर हो गये थे, बरसात नहीं होने के परिणामस्वरुप कृषि प्रभावित होने से गांवों में क्रयशक्ति कम हो गई थी.
आरोप लगाने से आंकडे नहीं बदल जायेंगे
जेटली ने कहा कि ऐसे में हमने नीतिगत पहले करते हुए गांव, किसान, कृषि के लिए जो प्रावधान किये गए हैं, वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक की दृष्टि से बडा प्रभाव डालने वाले हैं. पूर्व की कांग्रेस नीति संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से आंकडे नहीं बदल जायेंगे.हमारी नीतियां और माध्यम ऐसे होने चाहिए जो जनता के वृहद हित में हों. दाल की कीमतों में वृद्धि के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि दाल की कीमत मांग और आपूर्ति से जुडा विषय है.
भारत दाल का सबसे बडा उत्पादक है, सबसे अधिक दाल की खपत भारत में होती है और दुनिया के देशों से सबसे अधिक दाल हम खरीदते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में 2.3 करोड टन दाल की जरुरत है और पैदावार 1.7 करोड टन रही है. इस तरह से 60 लाख टन कम उत्पादन रहा है. इसकी पूर्ति हम म्यामां, मोजांबिक, तंजानिया जैसे देशों से दाल की खरीद करके कर रहे हैं. हालांकि दुनिया के बाजार में भी दाल की उपलब्धता कम हुई है. कुछ दाल व्यापारियों की जमाखोरी के कारण भी स्थिति खराब हुई और उन पर कार्रवाई की गई.

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