माताओं ने बेटी के लिए बदली परंपरा
नयी दिल्ली : जहां एक तरफ वंश आगे बढ़ाने के लिए लोग मंदिरों में बेटे के लिए मन्नत मांगते नहीं थकते, वहीं देहरादून में माताओं ने बेटियों के लिए दुआ मांगी. वैसे संकष्टी चतुर्थी व्रत माताएं बेटों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. लेकिन, अब कई माताएं बेटियों की लंबी उम्र के लिए यह […]
नयी दिल्ली : जहां एक तरफ वंश आगे बढ़ाने के लिए लोग मंदिरों में बेटे के लिए मन्नत मांगते नहीं थकते, वहीं देहरादून में माताओं ने बेटियों के लिए दुआ मांगी. वैसे संकष्टी चतुर्थी व्रत माताएं बेटों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. लेकिन, अब कई माताएं बेटियों की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखने लगी हैं.
पिछले दिनों देहरादून की कई माताओं ने यह व्रत अपनी बेटियों के लिए रखा. उनका मानना है कि जब बेटा-बेटी दोनों एक ही कोख से जन्मे हैं तो उनके सुखद भविष्य और दीर्घायु की कामना में फर्क क्यों किया जाये? ये महिलाएं बेटियों के लिए यह व्रत रख खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं.
* तिल का लड्डू खाकर व्रत
संकष्ट चतुर्थी का व्रत सुबह चार बजे उठ कर तिल के लड्डू खाकर शुरू किया गया. पूरे दिन व्रत में रहने के बाद शाम को चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोला गया.
* यह है मान्यता
ब्राह्मण पुराण में वर्णित है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन शिवजी ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग किया था और उनका सिर चंद्रलोक में पहंुच गया था. इसीलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. आचार्य भरतराम तिवारी ने बताया कि रात में चंद्रमा को देखकर व्रत खोला जाता है. शिव परिवार का पूजन होता है. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि चंद्रोदय तिथि में यह व्रत किया जाता है.
* सास ने दी व्रत की सलाह
जिले के तेग बहादुर रोड निवासी अर्चना शर्मा को दो बेटियां हैं. अर्चना ने बताया कि 16 साल पूर्व पहली बेटी मल्लिका हुई तो सास ने उन्हें व्रत रखने की सलाह दी. चार साल बाद दूसरी बेटी राधिका हुई. अब वह दोनों बेटियों के लिए हर साल व्रत रखती हैं. अर्चना बताती हैं कि उनके पति विकास भी बेटियों के लिए उनके व्रत रखने पर खुशी जताते हैं. बेटियां ही उनके लिए बेटे हैं.