प्रेमचंद के जन्मदिन पर गूगल डूडल

नयी दिल्ली : साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 137वीं जयंतीहै. इस मौके पर सर्च इंजन गूगल ने उनके सम्मान में एक डूडल बनाया है. डूडल में एकमुंशी प्रेमचंद को देखा जा सकता है. इस डूडल पर क्लिक करने से आपप्रेमचंद के विकिपीडिया पन्ने को पढ़ सकते हैं. मुंशी प्रेमचंद ऐसे कालजयी उपन्यासकार थे, जिन्होंने अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2016 9:55 AM

नयी दिल्ली : साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 137वीं जयंतीहै. इस मौके पर सर्च इंजन गूगल ने उनके सम्मान में एक डूडल बनाया है. डूडल में एकमुंशी प्रेमचंद को देखा जा सकता है. इस डूडल पर क्लिक करने से आपप्रेमचंद के विकिपीडिया पन्ने को पढ़ सकते हैं.

मुंशी प्रेमचंद ऐसे कालजयी उपन्यासकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी के दम पर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी. मुंशी प्रेमचंद का व्यक्तित्व बड़ा ही साधारण था. उनके निधन के 81 वर्ष बाद भी उनकी कालजयी रचना कफन, गबन, गोदान, ईदगाह व नमक का दारोगा हर किसी को बचपन की याद दिलाती है.

31 जुलाई 1880 को बनारस से लगभग छह मील दूर लमही नामक गांव में उनका जन्म हुआ था. उनके पूर्वज कायस्थ परिवार से आते थे. प्रेमचंद के दादाजी गुरु सहाय सराय पटवारी और पिता अजायब राय डाकखाने में कर्ल्क थे. उनकी माता का नाम आनंदी देवी था. प्रेमचंद अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. उनसे पहले अजायब राय के घर में तीन बेटियां हुई थी. जिसमें से दो बचपन में ही हर मर गयी थी. जबकि सुग्गी नामक एक बच्ची जीवित रह गयी थी. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था.

प्रख्यात कवि-गीतकार गुलजार का मानना है कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है. प्रेमचंद की कृतियों ‘गोदान’ और ‘निर्मला’ को स्क्रीनप्ले प्रारूप में आज पेश करने वाले 81 वर्षीय गुलजार ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों में दर्शायीगयी समस्याएं आज भी मौजूद हैं. गुलजार कहते हैं, प्रेमचंद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे स्वतंत्रता से पहले के वक्त में थे.

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