जब मोदी की तारीफ में कुमार ने पढ़ी थी कविता
नयी दिल्लीः आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास इन दिनों सोशल मीडिया पर छाये हुए है कारण है कुमार की कविताएं जो उन्होंने वर्ष 2009 में मोदी के तारीफ में लिखी थी . कुमार की उन कविताओं को आज मोदी समर्थक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे है. फेसबुक पर इन कविताओं को […]
नयी दिल्लीः आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास इन दिनों सोशल मीडिया पर छाये हुए है कारण है कुमार की कविताएं जो उन्होंने वर्ष 2009 में मोदी के तारीफ में लिखी थी . कुमार की उन कविताओं को आज मोदी समर्थक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे है. फेसबुक पर इन कविताओं को खूब शेयर किया जा रहा है. कुमार ने मोदी को देश का सबसे लोकप्रिय और बेहतर मुख्यमंत्री बताया था. लेकिन आम आदमी पार्टी से जुड़ने के बाद कुमार विश्वास मोदी के आलोचक बन गये है. गौरतलब है कि कुमार पर कविता पाठ के दौरान भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लग रहा है. अभी हाल में ही मुंबई में सिख समुदाय ने कुमार विश्वास पर केस दर्ज किया है.
मोदी के गुणगाण में कुमार की कविता
एक बार फिर जीवन का रथ मुड़ा शुक्र के पथ पर
राजनीति ने डोरे डाले फिर लेखन के व्रत पर
लक्ष्मण रेखा बड़ी क्षीण, बड़ी क्रूर है काई .
कदम कदम पर फिसलाती है, रेशम सी चिकनाई
और जिस राजनीति को काजल कहा जाता है
बहुत कठिन है निष्कलंक रह कर के यह सब करना
जब-जब इनको अपना कहकर इनको गले लगाते
पर जब जब आप सहारा देते इनका सिर सहलाते
तब तब मुझको लगता है यह जीवन जी लेंगे
और नीलकंठ की तरह यहां का सारा विष पी लेंगे।
इस देश के अराजक धुएं के बीच
बस दो चार रोशनदान हैं
जिनसे उजाले की किरण आती है
विपरीत लोग भी अनुकूल लोग भी
दोनों आपके अस्तित्व को इन्कार नहीं कर सकते
विपरीत पूरी शिद्दत के साथ अस्वीकार करते हैं
और अनुकूल लोग पूरी शिद्दत के साथ स्वीकार करते हैं
मनुष्य वो जो ऐसे जिए कि जब फूल की तरह
धरती से जाए . तो बीज धरती में हो और सुगंध आसमान में।