न्यायालय ने खनन कंपनियों के संबंध में केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगाई

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस अधिसूचना पर आज रोक लगा दी जिसमें पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी खनन कंपनियों के लिए अपनी गतिविधियां जारी रखने के लिए दो साल का डीम्ड विस्तार दिया गया था. अधिसूचना ने उन कंपनियों को गैर वन्य क्षेत्र में भी वन अधिनियम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2014 12:36 AM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस अधिसूचना पर आज रोक लगा दी जिसमें पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी खनन कंपनियों के लिए अपनी गतिविधियां जारी रखने के लिए दो साल का डीम्ड विस्तार दिया गया था. अधिसूचना ने उन कंपनियों को गैर वन्य क्षेत्र में भी वन अधिनियम के तहत वन अनुमति हासिल करने में सक्षम बनाया था.

न्यायमूर्ति ए के पटनायक की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पिछले साल फरवरी में जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी जब वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि खनन कंपनियां कानून का घोर उल्लंघन कर रही हैं. साल्वे इस मामले में अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वकील की भूमिका निभा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि खनन कंपनियों को अपनी गतिविधियां जारी रखने के लिए दो साल की दी गई छूट काफी लंबी है. यह आरोप लगाया गया कि वन क्षेत्र में 590 लाइसेंस धारक अपनी गतिविधियां चला रहे हैं जबकि 350 के लिए अनुमति पहले ही समाप्त हो चुकी है.

उच्चतम न्यायालय ने ओड़िशा सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में आदिवासी लोगों के कल्याण के लिए विशेष उद्देश्य वाहन स्थापित करे. उसने सरकार से कहा कि वह सीईसी से परामर्श करके आदिवासी विकास के लिए एक व्यापक योजना बनाए. ऐसा करते वक्त स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और अन्य मानदंडों पर गौर करने को कहा गया.

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