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मुंबई में लता के साथ एक मंच पर आये मोदी, कहा दुश्मन के काल, अपनों की जान हैं देश के जवान

मुंबई: भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुंबई में लता मंगेशकर, सरगम प्रदीप और करीब 100 जवानों को सम्मानित किया. मुंबई के महालक्ष्मी रेसकोर्स मैदान में श्रेष्ठ भारत दिवस पर कवि प्रदीप की कालजयी रचना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों..’ के स्वर्ण जयंती वर्ष पर नरेंद्र मोदी के […]

मुंबई: भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुंबई में लता मंगेशकर, सरगम प्रदीप और करीब 100 जवानों को सम्मानित किया. मुंबई के महालक्ष्मी रेसकोर्स मैदान में श्रेष्ठ भारत दिवस पर कवि प्रदीप की कालजयी रचना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों..’ के स्वर्ण जयंती वर्ष पर नरेंद्र मोदी के आग्रह पर लता मंगेशकर ने गीत का एक अंतरा गाया. यहीं पर एक लाख लोगों ने एक साथ इस गीत को गाकर एक रिकॉर्ड कायम किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में मुंबई की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं.
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समारोह को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर शहीदों के सम्मान में वार मेमोरियल तक नहीं बना. सेना का काम सिर्फ युद्ध लड़ना नहीं होता, वह सेवा का भी काम करती है. गुजरात के भूकंप और उत्तराखंड की तबाही में मैंने सेना का सेवा कार्य देखा है.

यह सब देख कर मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो उठता है. लेकिन, देश का दुर्भाग्य है कि एक छोटा सा मुल्क हमारे जवान का सिर काट कर ले जाता है और उसकी पत्नी को देश का सम्मान लाने के लिए सरकार से मनुहार करनी पड़ती है. यह भी दुर्भाग्य है कि हमारे जितने जवान सीमा पर नहीं मरते, उससे ज्यादा देश में आतंकवादियों के हाथों मारे जाते हैं.

मोदी ने कहा कि सैनिक दुश्मन के लिए काल और अपनों के लिए जान बन कर आते हैं. यदि ‘ऐ मेरे वतन के लोगों..’ गीत नहीं होता, तो शहीदों को भी भूल जाते. इससे पूर्व, लता (84) ने कहा, ‘मैं किसी पार्टी से नहीं जुड़ी हूं. राजनीति में दिलचस्पी नहीं है. राजनीति और संगीत दोनों अलग-अलग चीजें हैं.’ लता ने कहा, ‘1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद 27 जनवरी, 1963 को पहली बार मैंने रामलीला मैदान में पंडित जवाहर लाल नेहरू के सामने यह गीत गाया था. वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गयी थीं. सी रामचंद्र ने इस अमर गीत को संगीत से सजाया था.

मैं हर साल शहीदों को सलाम करती हूं.’ उन्होंने कहा कि उस वर्ष उन्होंने देश-विदेश में डेढ़ सौ कार्यक्रम किये. हर कार्यक्रम में लोग उन्हें यह गीत गाने को कहते थे. कार्यक्रम का आयोजन शहीद गौरव समिति और लोधा फाउंडेशन की मदद से किया गया था.

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