जीएसटी पर आखिर क्यों पलट गये नरेंद्र मोदी
नयी दिल्ली : जीएसटी( वस्तु एवं सेवा कर ) बिल आज राज्यसभा में पेश किया गया और इस पर चर्चा हुई. साल 2009 में कांग्रेस जीएसटी को लेकर आयी थी. कई संपन्न राज्यों ने उस वक्त जीएसटी का विरोध किया था. 2009 से लेकर 20016 तक जीएसटी पर कई बार चर्चाएं हुईं, कई संशोधन किये […]
नयी दिल्ली : जीएसटी( वस्तु एवं सेवा कर ) बिल आज राज्यसभा में पेश किया गया और इस पर चर्चा हुई. साल 2009 में कांग्रेस जीएसटी को लेकर आयी थी. कई संपन्न राज्यों ने उस वक्त जीएसटी का विरोध किया था. 2009 से लेकर 20016 तक जीएसटी पर कई बार चर्चाएं हुईं, कई संशोधन किये गये.
जीएसटी को लेकर अभी भी कई राज्य विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी पर बोलते हुए जिक्र किया था कि आज हमें जीएसटी ना लागू होने के लिए दोषी करार दिया जाता है लेकिन जिस वक्त हम इसे पास करना चाहते थे आज अहम पदों पर बैठे कई लोग हमारे विरोध में खड़े थे. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने जीएसटी का विरोध किया था.
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जीएसटी पास करना केलिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. जीएसटी के विरोध से लेकर इसके समर्थन तक कैसा रहा प्रधानमंत्री का सफर ?
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर क्यो जीएसटी के विरोध में खड़े थे प्रधानमंत्री ?
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुने गये थे. गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य के विकास पर पूरा जोर दिया. उन्होंने गुजरात में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम किये. भाजपा शासित गुजरात उद्योग-व्यवसाय के लिहाज से सुगमता वाले राज्यों की सूची में गुजरात शीर्ष पर खड़ा कर दिया था. नरेंद्र मोदी जानते थे कि अन्य कई तरह के कर लागू करके राज्य अच्छी कमायी कर रहा है. राज्य की अर्थव्यवस्था आज मजबूत है लेकिन जीएसटी के लागू होने से संपन्न राज्यों को नुकसान होगा. कई कर जो राज्य सीधे तौर पर लगा सकती है जीएसटी के आने से नहीं लगा सकेगी. यही कारण था कि उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल का विरोध किया. गुजरात जीएसटी के विरोध में दूसरे राज्यों की अगुवाई कर रहा था.
क्या बदला की बदल गये नरेंद्र मोदी
गुजरात से नरेंद्र मोदी जब दिल्ली पहुंचे तो बहुत कुछ बदला. राज्य की चिंता को छोड़कर प्रधानमंत्री को पूरे देश की चिंता करनी होती है. जब प्रधानमंत्री जीएसटी के पक्ष में खड़े हुए तो विरोधी पार्टियों ने इस पर आपत्ति जतायी कि राज्य में थे तो विरोध और केंद्र में आ गये तो समर्थन क्यों. जीएसटी से कई ऐसे राज्यों को ताकत मिलेगी जो पीछे हैं. पिछड़े राज्यों को इस बिल से एक बल मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस पर एक मत बनाने के लिए विरोधी पार्टियों से कई दौर की बैठक की और एक मत बनाने की कोशिश की. जीएसटी के लागू होने से टैक्स का बराबर हिस्सा केंद्र और राज्य दोनों को मिलेगा. कई चीजें महंगी होगी तो कई चीजों के दाम में गिरावट आयेगी.