नयी दिल्ली : राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे ऐतिहासिक कर सुधार बताते हुए कहा कि जीएसटी का विचार वर्ष 2003 में केलकर कार्य बल की रिपोर्ट में सामने आया था. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट में जीएसटी के विचार को सार्वजनिक तौर पर सामने रखा था. जेटली ने आज जीएसटी विधेयक को अस्तित्व में लाने के लिए कांग्रेस व चिदंबरम कीतारीफ की,वहीं चिदंबरम ने मोदी सरकार के बदले तेवर व लचीले रुख के लिए जेटली की तारीफ की, लेकिनविधेयक पास कराने के लिए शर्तें भी रखीं.
अरुण जेटलीने कहा कि वर्ष 2009 में जीएसटी के बारे में एक विमर्श पत्र रखा गया. बाद में सरकार ने राज्याें के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार संपन्न समिति बनाई थी. वर्ष 2014 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने इससे संबंधित विधेयक तैयार किया था किन्तु लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण वह विधेयक व्यपगत हो गया.
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार इसे लोकसभा में ले करआयी और इसे स्थायी समिति में भेजा गया. बाद में यह राज्यसभा में आया और इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया. जेटली ने कहा कि इस विधेयक को लेकर राज्य के वित्त मंत्रियों की बैठक में व्यापक स्तर पर सहमति तैयार करने की कोशिश कीगयी. आज अधिकतर राज्य सरकारें और विभिन्न राजनैतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जीएसटी का मकसद भारत को एक बाजार केरूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है. उन्होंने कहा कि जीएसटी से पीने वाले अल्कोहल को बाहर रखा गया है तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बारे में जीएसटी परिषद तय करेगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद के फैसलों में दो तिहाई मत राज्यों का और एक तिहाई मत केंद्र का होगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी से केंद्र और राज्यों का राजस्व बढ़ेगा, साथ ही करवंचना कम होगी.
उन्होंने कहा कि विवाद होने की स्थितिमें जीएसटी परिषद ही विवादों का निस्तारण करेगी. यदि परिषद में विवादों का समाधान नहीं हो पाता है तो उसके समाधान के लिए परिषद ही कोई तंत्र तय करेगी.