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जीएसटी पर भाजपा का विरोध सैद्धांतिक नहीं था : आनंद शर्मा

नयी दिल्ली : राज्यसभा में जीएसटी पर चर्चा करते हुए आज कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने उस वक्त को याद दिलाया जब भाजपा विपक्ष में थी. उस वक्त जीएसटी को लेकर भाजपा ने विरोध किया. उन्होंने कहा जीएसटी पर उस वक्त समर्थन मिला होता तो यह कब का आ गया होता. 2006 में इसकी घोषणा […]

नयी दिल्ली : राज्यसभा में जीएसटी पर चर्चा करते हुए आज कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने उस वक्त को याद दिलाया जब भाजपा विपक्ष में थी. उस वक्त जीएसटी को लेकर भाजपा ने विरोध किया. उन्होंने कहा जीएसटी पर उस वक्त समर्थन मिला होता तो यह कब का आ गया होता.

2006 में इसकी घोषणा की गयी और आज 16 साल बाद 2016 में हम इसकी चर्चा कर रहे हैं. आज के राष्ट्रपति व तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसे पेश किया था. अगर ये उस वक्त हो गया होता तो इतने सालों में इतना नुकसान नहीं होता. इससे बहुत सारे फायदे हैं आज वित्त मंत्री अरुण जेटली और प्रधानमंत्री जो बता रहे हैं हम भी तो उस वक्त यही कह रहे थे.
उस वक्त भाजपा ने किया था विरोध
कांग्रेस की सोच इसके बारे में स्पष्ट रही कि आपसी बातचीत और सर्वसम्मति से फैसला हो. यही प्रयास पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने किया. उस वक्त हम कामयाब नहीं हुए. यह चर्चा के माध्यम से उन यादों की चर्चा की जाए जो जरूरी है. आनंद शर्मा ने कहा, जिस वक्त आप विपक्ष में थे उस वक्त विरोध था. गुजरात, मध्यप्रदेश से विरोध हुआ. दुख की बात है कि उस वक्त गुजरात के मौजूदा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. उस वक्त कहा गया कि देश के हित में नहीं है, राज्यों के हित में नहीं है. वो संविधान के खिलाफ है. हमारी कई मांगे थीं जिस पर गौर किया गया और उसे मान लिया गया.लेकिन उस पर भी भी स्पष्टता नहीं है उस पर और ध्यान देने की जरूरत है.
हम हमेशा जीएसटी के समर्थन में थे
हम इसे राजनीति की वजह से नहीं रोक रहे थे. हम जीएसटी लाये थे. हमने इसे लिखा, हम लाये. हम कभी इसके विरोध में नहीं थे. हम पहले बातचीत के लिए कहते थे तो सहमति नहीं हुई. हमारी चिंता जीएसटी रेट कैप को लेकर भी है. उस वक्त मांग हुई थी कि इसे संविधान में रखें लेकिन राज्यों ने कई मामलो पर सहमति नहीं दी. जबतक कानून के अंदर उसकी चर्चा ना हो तो टैक्स नहीं लग सकता. हम इसकी मांग कर रहे हैं . यह एक जायज और सही मांग है.
पेट्रोलियम और अल्कोहल को जीएसटी से क्यों रखा बाहर
अब हम जब 18 प्रतिशत की बात कर रहे हैं तो उसके पीछे एक कारण है. 13वें फाइनेंस कमीशन में इसकी चर्चा की गयी कहा गया जीएसटी 18 प्रतिशत होना चाहिए. जब आप कानून लायेंगे तो यह जरूर बतायें कि कितना टैक्स लगेगा. देश की जनता पर बोझ बड़ेगा तो यह अच्छा कदम नहीं है. पेट्रोलियम और अल्कोहल को इसमें शामिल करें. अगर आपने तंबाकू को इसमें शामिल किया है तो इसे भी शामिल करें . अगर हमारे साथ बीतचीत नहीं होती तो इसमें कई खामियां थी. इसमें सुधार आया है.

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