नयी दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को बहुप्रतीक्षित व ऐतिहासिक वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर देश में नयी परोक्ष कर प्रणाली के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया गया. इससे पहले सरकार ने कांग्रेस के एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग को मान लिया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया कि जीएसटी के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखा जायेगा. वित्त मंत्री जेटली ने संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मार्गदर्शक सिद्धांत होगा कि जीएसटी दर को यथासंभव नीचे रखा जाये. निश्चित तौर पर यह आज की दर से नीचे होगा. वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शून्य के मुकाबले 203 मतों से विधेयक को पारित कर दिया. साथ ही विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया.
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राज्यसभा में विधेयक पर मतदान से पहले सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए अन्नाद्रमुक ने सदन से वाकआउट किया. कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर अपने विरोध को तब त्यागा, जब सरकार ने एक प्रतिशत के विनिर्माण कर को हटा लेने की उसकी मांग को मान लिया. साथ ही इसमें इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक की भरपाई की जायेगी.
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इससे पहले विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे ऐतिहासिक कर सुधार बताते हुए कहा कि जीएसटी का विचार 2003 में केलकर कार्यबल की रिपोर्ट में सामने आया था. उन्होंने कहा कि जीएसटी का मकसद भारत को एक बाजार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है.
सीएसटी-आइसीएसटी पर आश्वासन नहीं दे सकते
कांग्रेस की ओर से जीएसटी के संबंध में सीएसटी और आइसीएसटी के संदर्भ में लाये जानेवाले विधेयकों के धन विधेयक नहीं होने का आश्वासन पर जेटली ने कहा कि वह आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं. जीएसटी परिषद ने अब तक विधेयक का मसौदा तैयार नहीं किया है. इस मुद्दे पर परिषद में कोई विचार विमर्श भी नहीं हुआ है. ऐसे में इन विधेयकों की सिफारिशों का पूर्वानुमान लगाकर वह कैसे कोई आश्वासन दे सकते हैं. हालांकि, जेटली ने कहा कि वह इस बात का आश्वासन दे सकते हैं कि इस संबंध में लाये जाने वाले विधेयक संविधान और परंपराओं के अनुरूप होंगे. सबसे विमर्श किया जायेगा. कांग्रेस सदस्यों ने इस बात पर विशेष आपत्ति जतायी कि सरकार अगले सत्र में जो दो विधेयक लायेगी, वे धन विधेयक नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात का आश्वासन देना चाहिए.
पक्ष में 203 वोट, विरोध में नहीं आया कोई
दायरे में ये नहीं
1. पेट्रोलियम उत्पाद
2. पंचायत/नगरपालिका/नगर निगम/ जिला परिषद आदि द्वारा लगाया जानेवाला मनोरंजन कर
3. अल्कोहल/शराब
4. स्टांप व कस्टम्स ड्यूटी
5. बिजली की खपत और बिक्री पर टैक्स
6. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स जैसे सीधे कर
कैसे लागू होगा
जीएसटी के दो अंग – केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) तथा राज्य जीएएसटी (एसजीएसटी) होंगे. केंद्र तथा राज्य दोनों एक साथ जीएसटी लगायेंगे. संयुक्त रूप से गैर सरकारी कंपनी वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) बनाया गया है, जो सरकारों, करदाताओं तथा अन्य संबंधित पक्षों को कर नेटवर्क के लिए आइटी सेवाएं उपलब्ध करायेगी. दो राज्यों के बीच कारोबार पर आइजीएसटी लगेगा.
अब आगे
राज्यसभा के बाद संशोधित बिल को लोकसभा से पारित कराया जायेगा. फिर कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से इसे पारित कराना होगा. राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद अधिसूचित होगा और केंद्र सरकार को कानून बनाना होगा. इसे अप्रैल, 2017 से लागू करने की तैयारी है.
किस पर क्या असर
सरकार
कर ढांचा आसान होगा और कर आधार बेस बढ़ेगा. निर्यात, रोजगार और आर्थिक विकास में जो बढ़ोतरी होगी, सालाना अरबों की आमदनी होगी.
आम आदमी
कर सिर्फ बिक्री के समय वसूले जायेंगे. टैक्स निर्माण लागत के आधार पर तय होने से सामान के दाम कम होंगे. 30-35 % की जगह 17-18 % कर.
कंपनियां व कारोबार
सिर्फ बिक्री के बिंदु कर पर लगने से उत्पादन लागत घटेगा. खपत के साथ मुनाफा बढ़ेगा. कर का औसत बोझ कम होगा. निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी. 17 करों के झंझट से मुक्ति.
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कांग्रेस का शुक्रिया
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लेकर सहमति पर पहुंचने के लिए कांग्रेस का शुक्रिया अदा किया. वित्तमंत्री ने कहा कि मैं विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने इस विधेयक पर बार-बार चर्चा की.
दोस्ताना अंदाज का धन्यवाद
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने जेटली के ‘दोस्ताना’ भाषण के लिए उनका शुक्रिया अदा किया. कहा कि, जीएसटी का अर्थ सिर्फ ‘गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स’ नहीं है, इसका अर्थ ‘गुड सेंस ट्रायम्फ्स’ भी है, हमारी मांगें मान लेने के लिए धन्यवाद.
झारखंड को विशेष लाभ नहीं होगा
जीएसटी के लागू होने से झारखंड जैसे राज्य को कोई विशेष लाभ नहीं होगा. झारखंड उत्पादक राज्य है. यहां खपत कम है. लाभ वैसे राज्यों को होगा, जहां बिक्री ज्यादा होती है. इस नयी व्यवस्था में सेल्स टैक्स नहीं मिलेगा. हालांकि केंद्र द्वारा कहा गया है कि इसके लागू होने से जिस राज्य को घाटा होगा, उसे मुआवजा मिलेगा. अब देखना है कि झारखंड जैसे राज्य को कितना मुआवजा मिल सकता है.
-प्रो रमेश शरण, अर्थशास्त्री
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐतिहासिक जीएसटी बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को बधाई दी. समर्थन करनेवाले सभी दलों का भी धन्यवाद किया है. उन्होंने विपक्ष के सकारात्मक रुख की भी सराहना की है. कहा कि एक देश-एक टैक्स की परिकल्पना अब साकार होगी. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा है कि जनता को इसका सीधा लाभ मिलेगा.
खास बातें
विवाद की स्थिति में
जीएसटी परिषद को केंद्र व राज्यों अथवा दो या अधिक राज्यों के बीच आपस में होनेवाले विवाद के निस्तारण के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी होगी. यदि परिषद में विवादों का समाधान नहीं हो पाता है, तो उसके समाधान के लिए परिषद ही कोई तंत्र तय करेगी.
राज्यों को ताकत : जीएसटी परिषद के फैसलों में दो तिहाई मत राज्यों का व एक तिहाई केंद्र का होगा.
क्या हो दर : जीएसटी दर की सीमा का निर्णय जीएसटी परिषद करेगी.
रूपरेखा की घोषणा आज
राष्ट्रीय बिक्री कर प्रणाली के लिए कार्यान्वयन रूपरेखा की घोषण गुरुवार को होगी. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने देर रात यह घोषणा की.
सस्ते हो सकते हैं
घर खरीदना हो या फिर ऐसी कोई दूसरी लेन-देन करनी हो, जहां वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगते हैं. रेस्तरां का बिल, एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज, वाॅशिंग मशीन और माल ढुलाई. टैक्स भरने की प्रॉसेस भी आसान होगा.
महंगे हो सकते हैं
चाय, कॉफी, डिब्बा बंद फूड प्रोडक्ट, मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल, आभूषण और जेम्स, रेडिमेड गारमेंट और डिस्काउंट (अभी डिस्काउंट के बाद की कीमत पर टैक्स लगता है. जीएसटी में एमआरपी पर टैक्स लगेगा.)
सहयोगात्मक संघवाद का शानदार उदाहरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों के नेताओं और सदस्यों को धन्यवाद दिया. सहयोगात्मक संघवाद का सबसे बेहतर उदाहरण बताया.