हाइकोर्ट के फैसले के बाद जंग ने कहा- न कोई हारा, न ही कोई जीता

नयी दिल्ली : केंद्र के साथ शक्तियों को लेकर उलझी अरविंद केजरीवाल सरकार को तगड़ा झटका देते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली संविधान के तहत केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की खंडपीठ ने केंद्र द्वारा 21 मई, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2016 8:02 AM

नयी दिल्ली : केंद्र के साथ शक्तियों को लेकर उलझी अरविंद केजरीवाल सरकार को तगड़ा झटका देते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली संविधान के तहत केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की खंडपीठ ने केंद्र द्वारा 21 मई, 2015 को जारी अधिसूचना को चुनौती देनेवाली आप सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि दिल्ली से संबंधित विशेष संवैधानिक प्रावधान 239 एए केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित अनुच्छेद 239 के प्रभाव को ‘कम’ नहीं करता, सो प्रशासनिक मुद्दों में उपराज्यपाल की सहमति ‘अनिवार्य’ है.

फैसला आने के बाद एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि ‘बॉस’ शब्द तो अनुचित है. भारत में कोई बॉस नहीं है. हमारे पास कोई राजा या महाराज नहीं है. हम संविधान के सहारे चलते हैं जिससे हमारी बुनियाद बनी है. अगर विजय हुई है तो वह संविधान की विजय हुई है. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि केजरीवाल साहब की हार हुई है और नजीब जंग की जीत हुई है. हमारा कोई अस्तित्व नहीं है.

आपको बता दें कि गुरुवार को पीठ ने आप सरकार की यह दलील स्वीकार नहीं की कि एलजी अनुच्छेद 239 एए के तहत विधानसभा द्वारा बनाये गये कानूनों के संबंध में सीएम व उसके कैबिनेट की सलाह पर काम करने को बाध्य हैं. पीठ ने इसे ‘आधारहीन’ बताया और कहा कि संवैधानिक ढांचे के तहत एलजी को कैबिनेट के फैसले से अवगत करना जरूरी है. उन मामलों में भी जिनके संबंध में कानून बनाने की शक्ति अनुच्छेद 239 एए के उपबंध 3 (ए) के तहत दिल्ली एनसीटी विधानसभा को दी गयी है. आदेश उसी स्थिति में जारी हो सकता है, जब एलजी ने अलग राय नहीं रखी हो.

दिल्ली और केंद्र के बीच अधिकार की लड़ाई


अनुच्छेद 239 एए

दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है

सरकार की सलाह से फैसले लेंगे उपराज्यपाल

सलाह मानने को बाध्य नहीं होंगे उपराज्यपाल

दिल्ली सरकार के पास भूमि, लॉ एंड ऑर्डर और पुलिस नहीं

सीआरपीसी की धारा 24 (8) के तहत एलजी के पास विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति करने का अधिकार

आर्टिकल 131

विवाद का निपटारा केवल सुप्रीम कोर्ट करेगा

हाइकोर्ट को अधिकार नहीं

असंवैधानिक नहीं एलजी की शक्ति

हाइकोर्ट ने कहा कि 21 मई, 2015 को केंद्र की अधिसूचना में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकना ना तो गैर-कानूनी था और ना ही गलत. सेवा का मामला दिल्ली विधानसभा के न्यायाधिकार क्षेत्र से बाहर हैं. ऐसे मामले में उप राज्यपाल का शक्तियों का इस्तेमाल ‘असंवैधानिक नही’ है.

सीएनजी और डीडीसीए : आयोग की नियुक्ति पर रोक
अदालत ने आप सरकार के सीएनजी फिटनेस घोटाला और दिल्ली एवं जिला क्रिक्रेट एसोसिएशन घोटाले में आयोग नियुक्त करने के आदेश को गैर-कानूनी मानते हुए उन पर रोक लगा दी, क्योंकि ये आदेश भी एलजी की सहमति के बिना जारी किये गये हैं.

फैसला ऐतिहासिक : जंग

एलजी नजीब जंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हाइकोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया. जंग ने कहा कि यह किसी एक शख्स की जीत नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक वैधताओं की जीत है. निश्चित तौर पर हम केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं, लेकिन यह कहना गलत है कि हम दिल्ली सरकार के खिलाफ काम करते हैं. हमने कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया था, वे (दिल्ली सरकार) कोर्ट में गये. हमने तो कोर्ट में सिर्फ संविधान में लिखी बातों को दुहराया.

सुप्रीम कोर्ट जायेगी आप सरकार

दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि वह एलजी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का प्रशासनिक प्रमुख ठहराये जाने के हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी, क्योंकि फैसले में इसमें संविधान द्वारा मंत्रिपरिषद को दिये गये अधिकारों को ‘कमतर’ किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार जब से सत्ता में आयी है, केंद्र उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से रोक रहा है.

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