नयी दिल्ली : महत्वपूर्ण कर सुधारों वाला जीएसटी विधेयक कल लोकसभा में आएगा जिस पर लगभग सभी राजनीति दलों ने अपना समर्थन जाहिर किया है. 1991 के बाद सबसे बडे आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने वाला जीएसटी विधेयक निचले सदन में आसानी से पारित हो जाने की संभावना है. देश को दुनिया के सबसे बडे एकल बाजार में परिवर्तित करने के लिए एक समान मूल्य वर्धित कर प्रणाली वाला यह विधेयक विभिन्न राज्यों के विभिन्न करों का स्थान लेगा. लोकसभा में विधेयक पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चर्चा में हस्तक्षेप किए जाने की संभावना है. विधेयक को लोकसभा ने पिछले साल पारित किया था और अब राज्यसभा द्वारा अनुमोदित संशोधनों को शामिल करने के लिए इसे वापस लोकसभा में लाया जाएगा. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज कहा कि उनकी पार्टी जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करेगी और उसने अपने सभी सांसदों को कल सदन में मौजूद रहने के लिए व्हीप जारी किया है जहां इसे पारित करने के लिए लाया जाएगा.
वस्तु एवं सेवा कर ( जीएसटी) को जल्द लागू कराने का मकसद लेकर चल रहे वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने राजग शासित सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बात कर यह सुनिश्चित करने कहा है कि संविधान संशोधन को राज्य विधानसभाएं जितना जल्द संभव हो , उनका अनुमोदन कर दें. मुख्यमंत्रियों ने आश्वासन दिया है कि जरुरत पडने पर वे विधेयक को अपनी अपनी विधानसभाओं में पारित कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे. संसद द्वारा पारित किए जाने के 30 दिन के भीतर जीएसटी को कम से कम 16 राज्यों की मंजूरी मिलना जरुरी है.
विधेयक पर करीब एक साल तक कडे विरोध का सामना करने के बाद सरकार कांग्रेस समेत सभी प्रमुख विपक्षी दलों को साथ लाने में कामयाब हो गयी और 3 अगस्त को भारी बहुमत से उच्च सदन ने इसे पारित कर दिया था. जीएसटी को लागू करने के लिए आधार तैयार करने संबंधी संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 को विपक्षी बहुमत वाले उच्च सदन में सरकार द्वारा चार संशोधन पेश किए जाने के बाद पारित किया गया था. जीएसटी के एक बार लागू होने के बाद सभी बाकी कर जैसे उत्पाद कर , सेवा कर , चुंगी और अन्य शुल्क समाप्त हो जाएंगे और इससे होने वाले राजस्व को केंद्र तथा राज्यों के बीच साझा किया जाएगा. नए जीएसटी कानून के तहत वस्तुओं पर कर उपभोग के स्तर पर लगाया जाएगा. इससे पहले उत्पादों वस्तुओं पर कर विभिन्न स्तर पर और भिन्न भिन्न तरीके से लगाया जाता था.
करीब एक दशक पहले जीएसटी का पहली बार प्रस्ताव पेश किया गया था और इसे भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने वाली व्यवस्था के रुप में देखा जा रहा है. यहां तक संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि इससे जीडीपी में दो फीसदी अंकों की वृद्धि होगी और साथ ही कारोबार करना सरल होगा एवं विनिर्माण क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा. यह भी संभावना जतायी जा रही है कि इससे कर कानूनों का बेहतर अनुपालन होगा और सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी.