नयी दिल्ली : दलितों पर लगातार बढ़ रहे हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पीएम मोदी को लगा होगा कि इन घटनाओं से उनकी सरकार की छवि खराब हो रही है, इसलिए उन्होंने अपना मुंह खोला होगा. खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा बड़ी देर के बाद बात करते हैं, नीयत देखना पड़ेगा.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों पर हिंसा करनेवालों पर प्रहार करते हुए हैदराबाद के एक कार्यक्रम में कहा कि यदि आप गोली मारना चाहते हैं, तो मुझे मार दीजिए. लेकिन मेरे दलित भाइयों पर हमला बंद करो. इन दिनों दलितों पर हमले और गो रक्षकों के मुद्दे पर विपक्ष के तीखे प्रहार का सामना कर रहे मोदी ने समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश करने को लेकर फर्जी गो रक्षकों पर भी जम कर निशाना साधा.
पीएम मोदी के बयान के बाद कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि वह (पीएम) आरएसएस से विहिप को भंग करने को क्यों नहीं कहते, वह बजरंग दल के पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते? यह उनके वैचारिक हमसफर हैं, जो देश भर में गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं और अनिश्चितता एवं आतंक का माहौल बनाते हैं. प्रधानमंत्री आज जो कह रहे हैं, वह पाखंड और दिखावा है. वहीं जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने यह संदेश पहले दिया होता, तो हमें गोरक्षक पूरे भारत में फैलते नजर नहीं आते. वह हर बात पर ट्वीट करते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर चुप रहे. चुप्पी तोड़ने का स्वागत है, लेकिन सवाल है कि इतनी देर क्यों?
राज्य करे कार्रवाई
इससे पहले दिन में तेलंगाना में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद गजवेल में एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने गोरक्षकों की जमकर खिंचाई की. उन्होंने कहा कि मैं हर किसी से कहना चाहता हूं कि इन फर्जी गाय रक्षकों से सावधान रहें. इन मुट्ठीभर गाय रक्षकों का गायों से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि वे समाज में तनाव व टकराव पैदा करना चाहते हैं. ये फर्जी रक्षक देश की शांति और सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं. वास्तविक गाय रक्षक ऐसे लोगों का भंडाफोड़ करें. राज्य सरकारों को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. इससे पहले मोदी ने शनिवार को दिल्ली में कहा था कि उन्हें ऐसे असमाजिक तत्वों पर बड़ा क्रोध आता है, जो रात में अपराध करते हैं और दिन में गोरक्षक का नाटक करते हैं.
हैदराबाद में क्यों
दलितों पर हमले की निंदा के लिए पीएम मोदी द्वारा हैदराबाद का चयन इस मायने से अहम है कि उनकी सरकार इसी शहर में दलित शोधछात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या के बाद विपक्ष के निशाने पर आयी थी. उसकी आत्महत्या ने देश के कई हिस्सों में विश्वविद्यालयों में आक्रोश पैदा किया था.