जजों की नियुक्ति : सरकार के सुझाव को खारिज कर सकता है कॉलेजियम
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय का कॉलेजियम न्यायाधीश के पद के लिए किसी की उम्मीदवारी खारिज करने और प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के संशोधित मसौदे में आवेदनों का मूल्यांकन करने के लिए छानबीन समिति गठित करने के सरकार के अधिकार समेत कुछ सरकारी प्रस्तावों पर अपनी आपत्ति दोहरा सकता है.एमओपी में उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय का कॉलेजियम न्यायाधीश के पद के लिए किसी की उम्मीदवारी खारिज करने और प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के संशोधित मसौदे में आवेदनों का मूल्यांकन करने के लिए छानबीन समिति गठित करने के सरकार के अधिकार समेत कुछ सरकारी प्रस्तावों पर अपनी आपत्ति दोहरा सकता है.एमओपी में उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए दिशानिर्देश होते हैं.इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि भारत के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम को संशोधित मसौदा एमओपी में विवाद वाले उपबंधों को लेकर आपत्तियां हैं जो कानून मंत्रालय ने तीन अगस्त को उसे सौंपा है.
इसका अर्थ होगा कि दस्तावेज को अंतिम रुप देने में अभी और समय लगेगा.संशोधित मसौदे पर विचार-विमर्श करने के लिए आने वाले दिनों में कॉलेजियम की बैठक हो सकती है.संशोधित मसौदे में सरकार ने दोहराया है कि उसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘जनहित’ के आधार पर कॉलेजियम द्वारा सुझाये गये किसी नाम को खारिज करने का अधिकार होना चाहिए.मई में कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से इस उपबंध को खारिज करते हुए कहा था कि यह न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप के समान है.मार्च के शुरुआती मसौदे में सरकार ने कॉलेजियम को खारिज किये गये नाम फिर से भेजने का अधिकार देने से इनकार किया था, वहीं नये मसौदे के अनुसार सरकार कॉलेजियम को उसकी सिफारिश को खारिज करने के कारण के बारे में बताएगी.