ऊना में दलितों ने मैला न उठाने का लिया संकल्प, रेल रोकने की दी चेतावनी

ऊना (गुजरात) : गुजरात के ऊना में हजारों दलितों ने मृत गायों को नहीं हटाने का संकल्पलिया.साथ ही कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार प्रत्येक परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इनसबके बीच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2016 1:36 PM

ऊना (गुजरात) : गुजरात के ऊना में हजारों दलितों ने मृत गायों को नहीं हटाने का संकल्पलिया.साथ ही कहा कि अगर एक महीने के भीतर गुजरात सरकार प्रत्येक परिवार को पांच एकड़ जमीन देने की उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो विशाल रेल रोको आंदोलन शुरू किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इनसबके बीच हमले की ताजा घटना के बाद फिर से तनाव व्याप्त हो गया. इस घटना में आठ लोगों के घायल होने की सूचना है.

अहमदाबाद से शुरू हुआ 350 किलोमीटर लंबा 10 दिवसीय पैदल मार्च यहां दलितों के प्रदर्शन स्थल पर समाप्त हुआ. 70वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर समाप्त हुई रैली में हिस्सा लेकर लौट रहे कुछ दलितों पर राज्य के गिर सोमनाथ जिले के ऊना में सामटेर गांव में संदिग्ध अगड़ी जाति के लोगों ने हमला किया. पुलिस ने बताया कि घटना में आठ दलित घायल हुए हैं और ऊना (ग्रामीण) थाना में एक शिकायत दर्ज की गयी है. साथ ही इलाके के शीर्ष अधिकारी मौके पर डेरा डाले हुए हैं.

सभा में लगे ‘दलित-मुस्लिम भाई-भाई’ के नारे
दलित समुदाय का उनके अभियान में समर्थन करने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के सदस्य आये. सभा में ‘दलित-मुस्लिम भाई-भाई’ के नारे सुनने को मिले. इस सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निशाने पर आए. हैदराबाद में आत्महत्या करने वाले दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और बालू सरवैया (उना में जिन दलितों को पीटा गया था उनमें से एक के पिता) ने तिरंगे को संयुक्त रूप से जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मौजूदगी में फहराया.

मालूम हो कि दलित समुदाय के सात सदस्यों की गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुक के मोटा समधीयाला गांव में मृत गाय की खाल उतारने के लिए कुछ स्वयंभू गोरक्षकों ने गत 11 जुलाई को बर्बर तरीके से पिटाई की थी. रैली में दलित नेताओं ने ‘जयभीम’ के नारों के बीच अत्याचार और भेदभाव से आजादी मांगी. मार्च ऊना दलित अत्याचार लड़त समिति (यूडीएएलएस) के बैनर तले 6 अगस्त को अहमदाबाद से शुरू हुआ था.

‘आप गाय की पूंछ पकड़ें, हमें जमीन दें’ : जिग्नेश मवानी
यूडीएएलएस की स्थापना करने वाले और मार्च का नेतृत्व करने वाले वकील से नेता बने जिग्नेश मवानी ने सभा में कहा, ‘आप गाय की पूंछ पकड़ें, हमें जमीन दें.’ उन्होंने वहां मौजूद लोगों से इस बात की शपथ लेने को भी कहा कि वे गाय की खाल उतारने का काम नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने मैनहोल के भीतर जाकर भूमिगत नालों की सफाई करने की प्रथा को भी छोड़ने को कहा.

मवानी ने कहा, ‘हमने राज्य सरकार के समक्ष अपनी मांगें प्रस्तुत की हैं.अगर आप प्रत्येक दलित परिवार को अगले एक महीने में पांच एकड़ जमीन देने की हमारी मांगों को स्वीकार नहीं करते हैं तो हम रेल रोको आंदोलन शुरू करेंगे.’ मोदी को निशाना बनाते हुए मवानी ने कहा, ‘बड़े स्तर के प्रदर्शन ने उन्हें मुद्दे पर बोलने को मजबूर किया. मोदी ने उस वक्त कुछ भी नहीं कहा था जब 2012 में तंगढ़ शहर में पुलिस की गोलीबारी में तीन युवक मारे गए थे. यह दलितों पर अत्याचार की एक अन्य घटना थी.’ कन्हैया ने कहा कि विकास के गुजरात मॉडल के प्रचार की राज्य के दलितों ने हवा निकाल दी है.

उन्होंने कहा, ‘हम जातिवाद से आजादी चाहते हैं. हम देश में कहीं भी दलितों पर अब और अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए सबको साथ आना होगा.’

मुझे अपने बेटे के लिए नहीं मिला है न्याय : राधिका वेमुला
राधिका वेमुला ने अपने भाषण में कहा, ‘मुझे अपने बेटे के लिए न्याय नहीं मिला है. उसे इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि वह दलित था. लेकिन यह देखकर अच्छा लग रहा है कि गुजरात में दलित आंदोलन ने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है. मैं यहां आई हूं ताकि किसी अन्य दलित बच्चे को उस स्थिति का सामना नहीं करना पड़े, जैसा मेरे बेटे को भुगतना पड़ा था.’

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